71 प्रतिशत भाग पर जल है फिर भी पानी की कमी क्यों है?
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सांख्यिकी विधियों में मुख्यतः आँकड़ों को काम में लाया जाता है। आँकड़ों के अनुसार पृथ्वी पर पानी की कुल मात्रा अनुमानतः 13100 लाख घन किलोमीटर है। इस पानी का लगभग 97 प्रतिशत (12707 लाख घन किलोमीटर) समुद्रों में खारे पानी के रूप में तथा लगभग 3 प्रतिशत (393 लाख घन किलोमीटर) धरती पर साफ पानी के रूप में मौजूद है।
धरती पर मौजूद साफ पानी का 68.7 प्रतिशत हिमनदियों (ग्लेशियरों) एवं बर्फ की चोटियों में, 30.1 प्रतिशत पानी भूजल के रूप में तथा 0.3 प्रतिशत सतही जल और बाकी पानी अन्य स्रोतों में मिलता है। सतही जल का लगभग 2 प्रतिशत नदियों में, 87 प्रतिशत झीलों में और 11 प्रतिशत दलदली भूमि में मिलता है।
पृथ्वी पर भूजल का वितरण, उसे सहेजने वाली चट्टानों के गुणों पर निर्भर होने के कारण असमान है। लगभग 700 मीटर की गहराई तक, कुल उपलब्ध पानी का 13.2 प्रतिशत तथा 700 से 3800 मीटर की गहराई तक 16.8 प्रतिशत मिलता है। ये आँकड़े पानी की मात्रा का अनुमान प्रस्तुत कर आभास देते हैं कि पृथ्वी पर साफ पानी की मात्रा बहुत ही कम है। यह कमी आँकड़ों की दृष्टि से सही है पर क्या वह समस्त जीवधारियों की आवश्यकताओं के सन्दर्भ में कम है, कहना कठिन है।
प्राकृतिक जलचक्र, पृथ्वी पर पानी की सतत यात्रा का लेखा-जोखा पेश करता है। प्राकृतिक जलचक्र को चित्र 2.2 में दर्शाया गया है। वह दर्शाता है कि पानी अपनी यात्रा के दौरान कहाँ-कहाँ से गुजरता है। प्राकृतिक जलचक्र, पानी की मात्रा का सन्तुलन भी दर्शाता है। यह सन्तुलन काबिले तारीफ है। यह सन्तुलन दर्शाता है कि पृथ्वी से जितना पानी भाप बनकर वायुमण्डल में पहुँचता है उतना ही पानी बरसात के रूप में पृथ्वी पर लौटता है।
वायुमण्डल में भाप के रूप में स्थायी रूप से पानी की जितनी मात्रा मौजूद होती है उतनी ही मात्रा नदियों तथा जमीन के नीचे के पानी द्वारा समुद्र को लौटाई जाती है। यह व्यवस्था विलक्षण है। वह जलचक्र के घटकों के बीच के विलक्षण सम्बन्ध और सन्तुलित प्रबन्ध को दर्शाती है। हिमयुग में पानी का कुछ हिस्सा बर्फ की चादर के रूप में यदि धरती पर एकत्रित हो जाता है तो वाष्पीकरण की मात्रा घट जाती है पर पानी का सकल सन्तुलन यथावत रहता है।
पृथ्वी पर सक्रिय प्राकृतिक जलचक्र भी, पानी के बारे में जानकारी देता है। इस जानकारी को दर्शाने के लिये बिलकुल ही सरल तरीका अपनाया जा सकता है। मान लो महाद्वीपों पर बरसने वाले पानी की मात्रा 100 इकाई है।