Social Sciences, asked by viratsing352, 2 months ago

72. एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक होने के नाते राजनीतिक व्यवस्था से आपकी क्या उम्मीद हैं?​

Answers

Answered by PrinceKing01
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Answer:

इस सवाल के लिए धन्यवाद। मेंरा जवाब मेंरी निजी सोच, मान्यता व अनुभव के आधार पर है। अन्य मत का स्वागत है।

१). हम क्वोरा में लोकतंत्र, लोकतंत्र ही तो खेल रहे हैं। अगर लोकतंत्र नहीं होता तो क्वोरा भी नहीं होता (हां, शायद होता, पर यह ‘कोरा’ होता)। अतः मुझे सवाल में ‘दोष’ शब्द का स्तेमाल अतिरेक पू्र्ण लगा। कोई भी प्रद्धति पूर्ण रूप से खामी मुक्त नहीं होती है, अतः लोकतांत्रिक शासन पद्धति भी पूर्ण रूप से खामी रहित नहीं है। फिर भी पहले तो यही कहुंगा कि यह शासन व्यवस्था, अन्य उपलब्ध शासन व्यवस्थाओं में सर्वाधिक स्वाभाविक व मानव स्वभाव के करीब है, व सबसे श्रेष्ठ है। खामियां भी प्रद्धति में नहीं, हमारी अपनी कमजोरियों की वजह से है (अगर हम बारीश में रैनकोट अथवा छाता ना लें और भिगने का दोष बारीश पर लगाएं तो यह सही नहीं होगा)। फिर इन खामियों को दूर करने की क्षमता भी इसी व्यवस्था में ही है।

२). भारत के संदर्भ में : हमें ऐसा जरूर प्रतित होता है कि लोकतंत्र में कार्य संपादन की गति धीमी होती है, वोट की राजनीति की मजबुरी की वजह से राजनेताओं में बदलाव के प्रति अरुचि रहती है व यथास्थितिवाद/ तदर्थवाद हावी रहता है। (इनकी वजह है बार बार के चुनाव, सामाजिक आर्थिक विषमता, मतदाता में स्वतंत्र चिंतन का अभाव जिस वजह से वोट बैंक की राजनीति का फलना फुलना, आदि। उम्मीद है सुधार होगा)।

३). कुछ लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरूपयोग करते हैं। पर इनसे निपटने की सामर्थ्य भी लोक-तंत्र में ही है।

४). लोकतंत्र में व्यवस्था संचालन एक सिस्टम के तहत होता है। व खासियत यह है कि सिस्टम पर नजर/ नियंत्रण करने की उत्तम व्यवस्था भी है, संस्थाओं के रूप में। और सबसे ऊपर है ‘जन(ता)’ जिसे इन सब को नियंत्रित करने का अधिकार प्राप्त है (मानव स्वभाव है कि वह शासन करना चाहता है, शासित नहीं होना चाहता यह सुविधा लोकतंत्र में ही संभव है)।

५). दोष : चुंकि लोकतंत्र आमजन की सामुहिक चेतना से संचालित होता है, अतः इसमें वे सभी दोष हैं जो मानव में है। अतः जो में वे सभी कमियां है उसके लिए तंत्र जिम्मेदार नहीं है। तो मेंरे हिसाब से स्थति तनावपूर्ण जरूर है, पर नियंत्रण में है। लोकतंत्र में सरकार चलाना एक बहुत बड़े संयुक्त परिवार के संचालन जैसा है। हम अपने-अपने घरों में देख सकते हैं। सभी के मुंह से यही निकलेगा “हम बदलेंगें, युग बदलेगा”।

पढ़ने के लिए धन्यवाद। मेंरा जवाब अधूरा है। कोई चाहे तो छुटे पहलू जोड़ सकता है, तथा मूल भावना बनाए रख कर जवाब छोटा किया जा सकता है तो जरूर सहयोग करें। (मेंरा यह लेखन नेहा अग्रवाल जी के एक जवाब से प्रेरित होकर पूरा हो पाया है। नेहा जी को धन्यवाद)।

Answered by shagufirehman49
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Answer:

btao answer okkkkkkkkkkkk

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