8.2 कविता और कहानी दिनांक 1. दी गई पंक्तियाँ आपके अनुसार कविता है या कहानी? कारण सहित बताएँ। कभी हो जाती रात बड़ी, कभी दिन भी लंबा होता है। अपने निश्चित समय पर, मौसम भी बदलता है। जाने क्यूँ ऐसा होता है?
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बोलिये सुरीली बोलियां,
खट्टी मीठी आँखों की रसीली बोलियां.
रात में घोले चाँद की मिश्री,
दिन के ग़म नमकीन लगते हैं.
नमकीन आँखों की नशीली बोलियां,
गूंज रहे हैं डूबते साए.
शाम की खुशबू हाथ ना आए,
गूंजती आँखों की नशीली बोलियां.
देखो, आहिस्ता चलो!
देखो, आहिस्ता चलो, और भी आहिस्ता ज़रा,
देखना, सोच-सँभल कर ज़रा पाँव रखना,
ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं.
काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में,
ख़्वाब टूटे न कोई, जाग न जाये देखो,
जाग जायेगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा.
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