8 " आज के समाज में भी ऐसी परजीवी संस्कृति को देखा जा सकता है" | लखनवी अंदाज पाठ
के आधार पर उत्तर लिखें।
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आज के समाज में ऐसी परजीवी संस्कृति को देखा जा सकता है। लेखक ने परजीवी संस्कृति उन लोगों के लिए कहा है, जो बनावटी जीवनशैली जीने के आदी होते है। जो केवल ढोंग और पाखंड करते हैं, वास्तव में वह वह नहीं होते जो दिखाने का प्रयत्न करते हैं। ऐसे लोग दूसरों को स्वयं से हीन समझते हैं और स्वयं को बहुत उच्च वर्ग का दिखाने का दिखावा करते हैं और अन्य लोगों को स्वयं से हेय दृष्टि का समझते हैं।
ऐसे लोग दूसरों के सामने आचरण भी ऐसा ही करते हैं, जिसका वास्तविकता से संबंध नही रखता बल्कि दिखावे और पाखंड से भरा होता है। यह सामंतवादी सोच का परिणाम है।
जिस तरह परजीवी हमेशा दूसरों पर आश्रित रहता है, उसका स्वयं का मौलिक कुछ नही होता। उसी तरह ऐसे लोग भी हमेशा उच्च वर्ग के लोगों की नकल करके उनके जैसा जताने की कोशिश करते हैं, जबकि वास्तविकता में वैसे होते नही हैं।
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‘लखनवी अंदाज’ पाठ से कुछ अन्य प्रश्न—▼
लोग यथार्थ को स्वीकार करने में क्यों डरते हैं? लखनवी अंदाज पाठ के आधार
पर बताओ।
नवाब साहब का खीरे का आग्रह अस्वीकार करना लेखक को अनुचित लगा।
https://brainly.in/question/10805020
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खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकी और शौक के बारे में पढ़ा-सुना होगा। किसी एक के बारे में लिखिए।
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