8. अर्थ स्पष्ट कीजिए : (क) कभी-कभी हमारी बला फतिंगों ही के सिर चली जाती थी। उनका बलिदान कर हम मौलवी साहब के रौद्र रूप को प्रसन्न कर लिया करते थे।
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