8. भारत में कुटीर एवं लघु उद्योगों का क्या महत्त्व है ? इनके विकास हेतु सरकारी प्रयासों की व्याख्या कीजिए।
Answers
उत्तर.भारतीय आर्थिक विकास में लघु एवं कुटीर पैमाने के उद्योगों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। ... लघु उद्योगों में आघुनिक ढंग से उत्पादन कार्य होता है। सवेतन श्रमिकों की प्रधानता रहती है तथा पूंजी निवेश भी होता है। कतिपय कुटीर उद्योग ऐसे भी है, जो उत्कृष्ट कलात्मकता के कारण निर्यात भी करते है।
Answer:
कुटीर उद्योग सामूहिक रूप से उन उद्योगों को कहते हैं जिनमें उत्पाद एवं सेवाओं का सृजन अपने घर में ही किया जाता है न कि किसी कारखाने में।
"लघु उद्योग" (छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाइयाँ/small scale industry) वे होती है जो मध्यम स्तर के विनियोग की सहायता से उत्पादन प्रारम्भ करती हैं। इन इकाइयों मे श्रम शक्ति की मात्रा भी कम होती है और सापेक्षिक रूप से वस्तुओं एवं सेवाओं का कम मात्रा में उत्पादान किया जाता है।
हमारे देश में उत्पादन और राष्ट्रीय आय की वृद्धि में लघु व कुटीर उद्योगों का बहुत महत्व है ।
Explanation:
कुटीर उद्योग परम्परागत उद्योग हैं, इनमें कम पूंजी लगती है तथा घर के सदस्यों द्वारा ही वस्तुएं बना ली जाती है । लघु उद्योग में भी कम पूंजी लगती है ।
लघु उद्योग इकाई ऐसा औद्योगिक उपक्रम है जहाँ संयंत्र एवं मशीनरी में निवेश 1 करोड़ रुपए से अधिक न हो, किन्तु कुछ मद जैसे कि हौजरी, हस्त-औजार, दवाइयों व औषधि, लेखन सामग्री मदें और खेलकूद का सामान आदि में निवेश की सीमा 5 करोड़ रु. तक थी, लघु उद्योग श्रेणी को नया नाम लघु उद्यम दिया गया है ।
सरकार अब इन उद्योगों हेतु ऋण उपलब्ध करा रही है और इससे उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल रही है तथा बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त हो रहा है ।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कुटीर एवं लघु उद्योगों का स्थान प्राचीन काल से ही महत्त्वपूर्ण रहा है। एक जमाना था जब भारतीय ग्रामोद्योग उत्पाद का निर्यात विश्व के अनेक देशों में किया जाता था। भारतीय वस्तुओं का बाजार चर्मोंत्कर्ष पर था । किन्तु औपनिवेशिक शासन में ग्राम उद्योगों का पतन हो गया । फलतः हमारे गाँव एवं ग्रामवासी गरीबी के दल.दल में फँस गए हैं । ऐसे गाँवों के विकास में ग्राम.उद्योग का अपना महत्व है।