8. गांधीजी ने मानव जीवन की व्याख्या
किस प्रकार की है
1 point
O O
उन्होंने जीवन को वीर काव्य की भांति माना जो
हृदय को स्पर्श करता है।
दार्शनिक महाकाव्य की भांति माना जो दर्शन से
चलता है
उन्होंने जीवन को नाटक की संज्ञा दी जिसमें
O कर्म निष्ठा सेवा तथा समर्पण का संघर्ष चलता
रहता है
O O
उन्होंने जीवन को दुखों से भरपूर माना जिसमें
दुख के सिवा और कुछ नहीं मिलता
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simple living and high thinking
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उन्होंने जीवन को नाटक की संज्ञा दी जिसमें
O कर्म निष्ठा सेवा तथा समर्पण का संघर्ष चलता
रहता है I think
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mark brenlist please follow me and thanks to me
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