8. 'निरभै भया कबीर दिवाना' पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
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निरभै भया कबीर दिवाना' पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
कबीर के दोहों की इन पंक्तियों का भावार्थ यह है कबीर कहना चाहते हैं कि वह अब निर्भय हो गए हैं। अब उन्हें कोई डर नहीं सताता। कबीर के अनुसार जो निर्भय हो जाता है, ईश्वर का दीवाना हो जाता है, उसे कोई डर नहीं सताता। इसलिए उन्हें संसार का कोई माया जाल आकर्षित नहीं कर पाता क्योंकि उन्होंने ज्ञान प्राप्त कर लिया है और वह ईश्वर के दीवाने हो गए हैं।
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