Physics, asked by setugogliya2, 3 months ago

8 औद्योगिक क्रांति के दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए।​

Answers

Answered by Anonymous
2

Answer:

धन सम्पदा में भारी वृद्धि हुई। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी बढ़ा। औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का विस्तार भी औद्योगिक क्रांति का परिणाम था एवं नए वर्गों का उदय हुआ। इस क्रांति से किसी वर्ग को पूंजी जमा करने और शोषण करने का मौका मिला तो शोषित वर्ग को उस शोषण चक्र से मुक्ति के लिए तरह-तरह के प्रयत्न करने पड़े। फलतः श्रमिक आंदोलनों का जन्म हुआ। इतना ही नहीं इस क्रांति ने सांस्कृतिक रूपांतरण को भी गति प्रदान की तथा समाज में एक मनोवैज्ञानिक परिवर्तन आया। प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम दोहन एवं प्रयोग तथा प्रकृति पर अधिकार करने की योग्यता से मानव का आत्मविश्वास ऊँचा हुआ। औद्योगिक क्रांति के परिणाम और प्रभावों को निम्न बिन्दुओं के अंतर्गत समझा जा सकता है।

Explanation:

आर्थिक असंतुलन : औद्योगिक क्रांति से आर्थिक असंतुलन राष्ट्रीय समस्या के रूप में सामने आया। विकसित और पिछड़े देशों के मध्य आर्थिक असमानता की खाई गहरी होती चली गई। औद्योगीकृत राष्ट्र अविकसित राष्ट्रों का खुलकर शोषण करने लगे। आर्थिक साम्राज्यवाद का युग आरंभ हुआ। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर औपनिवेशिक साम्राज्यवादी व्यवस्था मजबूत हुई। औद्योगिक क्रांति के बाद राष्ट्रों की आपसी निर्भरता बहुत अधिक बढ़ गई जिससे एक देश में घटने वाली घटना दूसरे देश को सीधे प्रभावित करने लगी। फलतः अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक तेजी एवं मंदी का युग आरंभ हुआ।

कुटीर उद्योगों का विनाश : औद्योगिक क्रांति का नकारात्मक परिणाम था कुटीर उद्योगों का विनाश। किन्तु यहाँ समझने की बात यह है कि यह नकारात्मक परिणाम औद्योगिक देशों पर नहीं बल्कि औपनिवेशिक देशों पर पड़ा। दरअसल औद्योगिक देशों में कुटरी उद्योगों के विनाश से बेरोजगार हुए लोगों को नवीन उद्योगों के रूप में एक विकल्प प्राप्त हो गया। जबकि उपनिवेशों में इस वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाई। भारत के संदर्भ में इसे समझा जा सकता है।

मानवीय संबंधों में गिरावट : परम्परागत, भावानात्मक मानवीय संबंधों का स्थान आर्थिक संबंधों ने ले लिया। जिन श्रमिकों के बल पर उद्योगपति समृद्ध हो रहे थे उनसे मालिक न तो परिचित था और न ही परिचित होना चाहता था। उद्योगों में प्रयुक्त होने वाली मशीन और तकनीकी ने मानव को भी मशीन का एक हिस्सा बना दिया। मानव-मानव का संबंध टूट गया और वह अब मशीन से जुड़ गया। फलतः संवेदनशीलता प्रभावित हुई। वर्तमान की सर्वप्रमुख समस्या के यप में में इसे समझा जा सकता है।

नैतिक मूल्यों में गिरावट : नए औद्योगिक समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आई। भौतिक प्रगति से शराब और जुए का प्रचार बढ़ा। अधिक समय तक काम करने के बाद थकावट मिटाने के लिए श्रमिकों में नशे का चलन बढ़ा। पे्रमचंद ने "गोदान" में इस स्थिति का सजीव चित्रण किया है। इतना ही नहीं औद्योगिक केन्द्रों पर वेश्यावृत्ति फैलने लगी। उपभोक्तावादी प्रवृत्ति बढ़ने से भ्रष्टाचार एवं अपराधों को बढ़ावा मिला।

शहरी जीवन में गिरावट : शहरों में जनसंख्या के अत्यधिक वृद्धि के कारण निचले तबके को आवास, भोजन, पेयजल आदि का अभाव भुगतना पड़ता था। अत्यधिक जनसंख्या के कारण औद्योगिक केन्द्रों के आस-पास कच्ची बस्तियों का विस्तार होने लगा जहां गंदगी रहती थी। फलस्वरूप महामारी का प्रकोप भी होने लगा और श्रमिक वर्ग का स्वास्थ्य रूप से प्रभावित होने लगा।

सांस्कृतिक परिवर्तन : औद्योगिक क्रांति से पुराने रहन-सहन के तरीकों, वेश-भूषा, रीति-रिवाज, धार्मिक मान्यता, कला-साहित्य, मनोरंजन के साधनों में परिवर्तन हुआ। परम्परागत शिक्षा पद्धति के स्थान पर रोजगारपरक तकनीकी एवं प्रबन्धकीय शिक्षा का विकास हुआ।

बाल-श्रम : औद्योगिक क्रांति ने बाल-श्रम को बढ़ावा दिया और बच्चों से उनका “बचपन” छीन लिया। इस समस्या से आज सारा विश्व जूझ रहा है।

महिला आंदोलनों का जन्म : औद्योगिक क्रांति ने कामगारों की आवश्यकता को जन्म दिया जो केवल पुरूषों से पूरा नहीं हो पा रहा था। अतः स्त्री की भागीदारी कामगार वर्ग में हुई। अब स्त्रियों की ओर से भी अधिकारों की मांगे उठने लगी, उनमें चेतना जागृत हुई।

Similar questions