English, asked by kuldeep14509, 7 months ago


8. पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।​

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Answered by kpverma2521986
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तुलसी की भाषा सरल, सरस, सहज और अत्यंत लोकप्रिय भाषा है। वे रस सिद्ध और अलंकारप्रिय कवि हैं। उन्हें अवधी और ब्रजे दोनों भाषाओं पर समान अधिकार है। रामचरितमानस की अवधी भाषा तो इतनी लोकप्रिय है कि वह जन-जन की कंठहार बनी हुई है। इसमें चौपाई छंदों के प्रयोग से गेयता और संगीतात्मकता बढ़ गई है। इसके अलावा उन्होंने दोहा, सोरठा, छंदों का भी प्रयोग किया है। उन्होंने भाषा को कंठहार बनाने के लिए कोमल शब्दों के प्रयोग पर बल दिया है तथा वर्गों में बदलाव किया है; जैसे  • का छति लाभु जून धनु तोरें ।  • गुरुहि उरिन होतेउँ श्रम थोरे  तुलसी के काव्य में वीर रस एवं हास्य रस की सहज अभिव्यक्ति हुई है; जैसे  बालकु बोलि बधौं नहि तोहीं। केवल मुनिजड़ जानहि मोही।।  इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाही। जे तरजनी देखि मर जाही।।  अलंकार – तुलसी अलंकार प्रिय कवि हैं। उनके काव्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक जैसे अलंकारों की छटा देखते ही बनती है; जैसे  अनुप्रास – बालकु बोलि बधौं नहिं तोही।  उपमा – कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा।  रूपक – भानुवंश राकेश कलंकू। निपट निरंकुश अबुध अशंकू।।  उत्प्रेक्षा – तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा।।  वक्रोक्ति – अहो मुनीसु महाभट मानी।  यमक – अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहु न बूझ, अबूझ  पुनरुक्ति प्रकाश – पुनि-पुनि मोह देखाव कुठारू। इस तरह तुलसी की भाषा भावों की तरह भाषा की दृष्टि से भी उत्तम है।

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