8.
पद्यांश
लाठी में गुण बहुत है सदा राखिए संग।
गहरी नदीनीरा जहाँ, वहाँ वचावै अंग।।
तहाँ बचावे अंग, झपटि कुत्ता कह मारै ।
दुश्मन दादागीर, होए तिनहूँ को झारै।।
कह ' गिरिधर कविराय ' सुनो हो धूर के बाठी।
सब हथियार न छाँड़ि , हाथ महँ लीजै लाठी।।
गिरधर की कुंडालियाँ
कवि - गिरिधर कविराप
क. प्रथम दो पक्तियों में कवि क्या कह रहा है? भाव स्पष्ट करो।
ख. शब्दों के अर्थ लिखिए - नारी, दावागीर, झारै, बाठी।
ग. लाठी किससे और किस प्रकार हमारी रक्षा करती है?
घ. प्रस्तुत पद्यांश में कवि लाठी की उपयोगिता किस प्रकार सिद्ध कर रहे है। वे क्या
सन्देश देना चाहते है?
पाठ
EHIMSHAMITRA
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ग.णययभययभममयरयभयरततयरक्षय
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