Hindi, asked by rahulbiagarahul, 1 day ago

8. रस के प्रकार एवं उनके स्थायी भाव ​

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Answered by princelakha03
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Sorry don't know the answer

Answered by adityaegis1
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काव्य मे रस का अर्थ आनन्द स्वीकार 

किया गया है। साहित्य शास्त्र मे रस का अर्थ अलौकिक या लोकोत्तर आनन्द होता हैं। 

दूसरे शब्दों में जिसका आस्वादन किया जाये वही रस है। रस का अर्थ आनन्द है अर्थात् काव्य को पढ़ने सुनने या देखने से मिलने वाला आनन्द ही रस है। रस की निष्पत्ति विभाव, अनुभाव, संचारी भाव के संयोग से होती है। 

रस की परिभाषा (ras ki paribhasha)

कविता, कहानी, नाटक आदि पढ़ने, सुनने या देखने से पाठक को जो एक प्रकार के विलक्षण आनन्द की अनुभूति होती है उसे रस कहते हैं। 

दूसरे शब्दों में " काव्य के पढ़ने सुनने अथवा उसका अभिनय देखने मे पाठक, श्रोता या दर्शक को जो आनंद मिलता है, वही काव्य मे रस कहलाता हैं। रस 10 प्रकार के होते हैं नीचे दसों रस उनके स्थायी भाव के साथ दिए गए हैं---

रस

दसों रस एवं उनके स्थायी भाव 

1. श्रृंगार रस का स्थायी भाव =        रति

2. हास्य रस का स्थायी भाव =         हास 

3. करूण रस का स्थायी भाव =       शोक

4. रौद्र रस का स्थायी भाव =           क्रोध 

5. वीभत्स रस का स्थायी भाव =      जुगुप्सा 

6. भयानक रस का स्थायी भाव =     भय 

7. अद्धभुत रस का स्थायी भाव =     विस्मय 

8. वीर रस का स्थायी भाव =           उत्साह 

9. शान्त रस का स्थायी भाव =         निर्वेद 

10. वात्सल्य रस का स्थायी भाव =  वत्सल 

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