Hindi, asked by aryangauta0206, 7 months ago

8. स्वामीजी का देहावसान कब हुआ?
9. स्वामी दयानन्द लिखित किन्हीं तीन ग्रन्थों के नाम बताइए।​

Answers

Answered by Him2012
1

Answer:

महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती (१८२४-१८८३) आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक ,अखंड ब्रह्मचारी तथा आर्य समाज के संस्थापक थे। उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर'[1] ईश्वर भक्त (आज्ञा पालक) थे, उन्होंने वेदों के प्रचार और आर्यावर्त को स्वंत्रता दिलाने के लिए मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की। वे एक संन्यासी तथा एक चिंतक थे। उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना। 'वेदों की ओर लौटो' यह उनका प्रमुख नारा था। स्वामी दयानंद ने वेदों का भाष्य किया इसलिए उन्हें 'ऋषि' कहा जाता है क्योंकि 'ऋषयो मन्त्र दृष्टारः' (वेदमन्त्रों के अर्थ का दृष्टा ऋषि होता है)। उन्होने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाया। उन्होने ही सबसे पहले १८७६ में 'स्वराज्य' का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया

Explanation:

स्वामी दयानन्द सरस्वती की मुख्य कृतियाँ निम्नलिखित हैं-

स्वामी दयानन्द सरस्वती की मुख्य कृतियाँ निम्नलिखित हैं-सत्यार्थप्रकाश

स्वामी दयानन्द सरस्वती की मुख्य कृतियाँ निम्नलिखित हैं-सत्यार्थप्रकाशऋग्वेदादिभाष्यभूमिका

स्वामी दयानन्द सरस्वती की मुख्य कृतियाँ निम्नलिखित हैं-सत्यार्थप्रकाशऋग्वेदादिभाष्यभूमिकाऋग्वेद भाष्य

स्वामी दयानन्द सरस्वती की मुख्य कृतियाँ निम्नलिखित हैं-सत्यार्थप्रकाशऋग्वेदादिभाष्यभूमिकाऋग्वेद भाष्ययजुर्वेद भाष्य

स्वामी दयानन्द सरस्वती की मुख्य कृतियाँ निम्नलिखित हैं-सत्यार्थप्रकाशऋग्वेदादिभाष्यभूमिकाऋग्वेद भाष्ययजुर्वेद भाष्यचतुर्वेदविषयसूची

स्वामी दयानन्द सरस्वती की मुख्य कृतियाँ निम्नलिखित हैं-सत्यार्थप्रकाशऋग्वेदादिभाष्यभूमिकाऋग्वेद भाष्ययजुर्वेद भाष्यचतुर्वेदविषयसूचीसंस्कारविधि

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Answered by LastShinobi
2

Answer:

महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती (१८२४-१८८३) आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक ,अखंड ब्रह्मचारी तथा आर्य समाज के संस्थापक थे। उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर'[1] ईश्वर भक्त (आज्ञा पालक) थे, उन्होंने वेदों के प्रचार और आर्यावर्त को स्वंत्रता दिलाने के लिए मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की। वे एक संन्यासी तथा एक चिंतक थे। उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना। 'वेदों की ओर लौटो' यह उनका प्रमुख नारा था। स्वामी दयानंद ने वेदों का भाष्य किया इसलिए उन्हें 'ऋषि' कहा जाता है क्योंकि 'ऋषयो मन्त्र दृष्टारः' (वेदमन्त्रों के अर्थ का दृष्टा ऋषि होता है)। उन्होने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाया। उन्होने ही सबसे पहले १८७६ में 'स्वराज्य' का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया।

Explanation:

¯\_(ツ)_/¯

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