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सरलार्थ लिखिए।
भारतवर्ष उत्सवाना देशः अस्ति। अत्र प्रतिवर्ष अनेके उत्सवाः मान्यन्ते ।
दीपावली भारतवर्षस्य प्रमुखोत्सवः अस्ति। अयम् उत्सव: कार्तिकमासस्य
अमावस्या भवति।।
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दीपावली
कार्तिक अमावस्या को मनाया जाने वाला प्रमुख भारतीय त्यौहार
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दीपावली, दिवाली या दीवाली शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिन्दू त्यौहार है।[2][3] दीपावली कार्तिकमास की अमावस्या को मनाया जाता है जो ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। दीपावली भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दीपावली दीपों का त्योहार है। आध्यात्मिक रूप से यह 'अन्धकार पर प्रकाश की विजय' को दर्शाता है।[4][5][6]
दीवाली
रंगीन पाउडर का प्रयोग कर रंगोली सजाना दीवाली में काफी प्रसिद्ध हैअन्य नामदीपावलीअनुयायीहिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध [1]उद्देश्यधार्मिक निष्ठा, उत्सवउत्सवदिया जलना, घर की सजावट, खरीददारी, आतिशबाज़ी, पूजा, उपहार, दावत और मिठाइयाँआरम्भधनतेरस, दीवाली से दो दिन पहलेसमापनभैया दूज, दीवाली के दो दिन बादतिथिकार्तिक माह की अमावस्यासमान पर्वकाली पूजा, दीपावली (जैन), बंदी छोड़ दिवस
भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्हात् (हे भगवान!) मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए। यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्धतथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं[7][8] तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है।
माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे।[9] अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ-सुथरा कर सजाते हैं। बाजारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं।
दीवाली के दिन नेपाल, भारत,[10] श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तानऔर ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर एक सरकारी अवकाश होता है।
दिवाली उत्सव

नर्क चतुर्दशी की रात्रि पर घर के अंदर दियेसे की गयी सजावट

दिवाली(तिहार) के लिये रोशन एक नेपालीमन्दिर

अमृतसर में दिवाली उत्सव

दिवाली की रात में चेन्नई के ऊपर आतिशबाज़ी

ग्रामीण उत्सव – गंगा नदी में तैरता दिया

दिवाली "मिठाई"
दिवाली नज़ारों, आवाज़ों, कला, और स्वाद का त्योहार है। जिसमें प्रांतानुसार भिन्नता पायी जाती ह