8. उचित उदाहरण सहित तने के रूपांतरों का वर्णन करो
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तना : तना पादप का वायवीय भाग है , यह बीज के प्रांकुर से विकसित होता है।
तने के लक्षण (properties of stem) :
1. तना ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्ती व धनात्मक प्रकाशनुवर्ती होता है।
2. सहश्व अवस्था में तना हरा होता है परन्तु बाद में कास्टीय व भूरा होता है।
3. तने पर पर्व व पर्वसंधियाँ पायी जाती है जिन्हें जॉठ कहते है।
4. तने पर शाखाएँ , पत्तियाँ , पुष्प व फल विकसित होते है।
तने के रूपान्तरण
1. खाद्य संग्रह हेतु रूपान्तरण : कई पादपों में भूमिगत तना मासल होकर खाद्य पदार्थो का संग्रह करते है।
उदाहरण : आलू , अदरक , अरबी
2. सहारा प्रदान करने हेतु रूपान्तरण : शाकीय पादपों का तना पतले कुंडलित प्रतान में बदल जाता है जो पादप को ऊपर चढ़ने में सहायता करता है।
उदाहरण : लौकी , तौरही , अंगूर , खीरा।
3. सुरक्षा हेतु रूपान्तरण : अनेक पादपो के तने से कास्टीय सीधे नुकीले कांटे विकसित हो जाते है जो पादप को पशुओ से सुरक्षा प्रदान करता है।
उदाहरण : बबूल , नींबू , गुलाब , बोगेनविलिया आदि।
4. प्रकाश संश्लेषण हेतु रूपान्तरण : अनेक मरुस्थलीय पादपो में तना चपटा , गुद्देदार हरी संरचना में रूपांतरित हो जाता है। इसमें पर्णहरित पाया जाता है जो प्रकाश संश्लेषण कर भोजन बनाता है।
उदाहरण : केवल्स (नागफनी) , यूफोरबिया (डंडाथोर)
5. कायिक जनन हेतु रूपान्तरण : कुछ पादपों के भूमिगत तने पुराने पौधे के नष्ट होने पर नये पौधे बनाते है।
उदाहरण – घास , स्ट्राबेरी आदि।
इसके अतिरिक्त कई पादपो के तने में उपस्थित पर्व सन्धियों से नई जड़े विकसित हो जाती है जो नया पादप बनाने में सक्षम होती है।
उदाहरण : पुदीना , चमेली , गन्ना , पिस्टिया , गुलदाउदी
तने के कार्य (work of stem)
1. यह शाखाओं , पत्तियों , पुष्प व फलो को धारण करता है।
2. यह जल , खनिज लवण व खाद्य पदार्थो का संवहन भी करता है।
3. विशेष परिस्थितियों में भोजन का संचय , प्रकाश संश्लेषण , सुरक्षा व सहारा प्रदान करने का कार्य भी करता है।