86. वास्तविक सहनशीलता क्या हैं ? (भगवद्गीता 13.8-12)
क. खाने और सोने को अवरोधित करना।
ख. शरीर का ठीक से ध्यान न रखना।
ग. अन्यों द्वारा किए गए अपमान और तिरस्कार को सहन करना |
घ. दूसरों को नुकसान न पहुँचाना |
Answers
Answer:
dusro ko nuksan nahi pahuchana chahiye
सही उत्तर है, विकल्प..
(ग) अन्यों द्वारा किए गए अपमान और तिरस्कार को सहन करना
Explanation:
गीता के श्लोक 13.8-12 के अनुसार सहिष्णुता अर्थात सहनशीलता का अर्थ है, मनुष्य को अपने अंदर दूसरों द्वारा किए गए अपमान तथा तिरस्कार करने की क्षमता विकसित करना। जो मनुष्य अपने आध्यात्मिक ज्ञान की उन्नति करने के प्रयास में लगा रहता है उसे अन्यों के द्वारा किए गए अपमान और तिरस्कार को सहन करने की क्षमता धारण करनी चाहिए क्योंकि यह आध्यात्मिक ज्ञान की उन्नति के लिए आवश्यक है। जब तक हम अपने ऊपर आए संकट, अपमान और तिरस्कार को सहन करने की क्षमता विकसित नहीं कर पाते तब तक हम आध्यात्मिक ज्ञान को पाने के मार्ग पर आगे नहीं बढ़ सकते। सहनशीलता की क्षमता ही हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
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13.12)
क,सहिष्णुता
ग.सादगी
ख.आत्मनियंत्रण
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यस्यास्ति वित्तं सः नरः कुलीनः,
सः पण्डितः सः श्रुतवान् गुणज्ञः।
स एव वक्ता सः च दर्शनीयः,
सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ति।।5।।