Hindi, asked by sharmasavita3403, 4 months ago

9. 'अज्ञात शत्रु' नाटक का प्रमुख पात्र और नायक है
(A) अज्ञात शत्रु
(B) गौतम
(C) वासवी
(D) विलोम
10. मैला आँचल' के रचनाकार नाम बताएं -
(A) जयशंकर प्रसाद
(B) मोहन राकेश
(C) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(D) फणीश्वरनाथ रेणु​

Answers

Answered by 26121984jitendra
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Answer:

अजातशत्रु नाटक के प्रमुख पात्र जयशंकर प्रसाद हैं

मैला आंचल के रचनाकार फणीश्वर नाथ रेणु है

example.

right answer

Answered by sourasghotekar123
0

Answer:9:- मोहन राकेश

10:- फणीश्वर नाथ

Explanation:

अज्ञात शत्रु

आचार्य चाणक्य अपनी नैतिकता में कहते हैं कि व्यक्ति के पास सफलता के साथ-साथ शत्रु भी आते हैं। एक सफल व्यक्ति को अपने शत्रुओं से हमेशा सतर्क और सावधान रहना चाहिए। चाणक्य के अनुसार शत्रु दो प्रकार के होते हैं, एक जो दृश्य और ज्ञात होता है। अन्य वे हैं जो दृश्यमान और अज्ञात नहीं हैं। आचार्य के अनुसार अज्ञात शत्रु अधिक खतरनाक होते हैं, वे पहले छिपकर व्यक्ति की कमजोरी का पता लगाते हैं और फिर पीछे से हमला करते हैं। इसलिए ऐसे शत्रुओं से हमेशा दूर रहना चाहिए। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में शत्रुओं से बचने के कई उपाय बताए हैं। चाणक्य नीति कहती है कि यदि व्यक्ति इन 4 बातों का ध्यान रखे तो शत्रु पीछे से वार नहीं कर सकता।

आचार्य चाणक्य के अनुसार शत्रु को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए। इसका मुकाबला करने के लिए पहले से योजना बनाएं। ध्यान रखें कि अपनी योजनाओं पर सभी के साथ चर्चा न करें। योजनाओं पर हमेशा जिम्मेदार और भरोसेमंद व्यक्तियों के साथ चर्चा की जानी चाहिए। काम पूरा होने के बाद भी इस विषय पर चर्चा की जानी चाहिए। यदि आप योजना को लेकर सावधान नहीं हैं तो शत्रु आपकी आदत का फायदा उठाकर आपके काम में बाधा डाल सकता है।

मैला आँचल

'मैला आँचल' हिन्दी का सबसे अच्छा और सबसे शक्तिशाली क्षेत्रीय उपन्यास है। नेपाल की सीमा से लगे उत्तर-पूर्वी बिहार में एक पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र की पृष्ठभूमि को स्थापित करते हुए रेणु ने वहां के जीवन का एक विशद और विशद चित्रण किया है, जिससे वह खुद भी जुड़ी हुई थीं।

'मैला आंचल' का कथानक एक युवा चिकित्सक है जो अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एक पिछड़े गाँव को अपने कार्यक्षेत्र के रूप में चुनता है और इसी क्रम में ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन, दुख, अभाव, अज्ञानता, अंधविश्वास के साथ। इसके साथ ही विभिन्न प्रकार के सामाजिक शोषण-चक्र में फंसे लोगों के कष्टों और संघर्षों से भी उनका साक्षात्कार होता है। कहानी का अंत एक उम्मीद भरे संकेत के साथ होता है कि युगों से सो रही ग्राम-चेतना तेजी से जाग रही है।

कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु की इस युगान्तरकारी उपन्यास कृति में कहानी कहने के साथ-साथ भाषा और शैली का अनुपम सामंजस्य है, जो जितना स्वाभाविक है, उतना ही प्रभावशाली और आकर्षक भी है।

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