Hindi, asked by bushbushra80, 19 days ago

9. अरुण गाँधी की गलती पर पिता ने अपने आप को सजा दी ।अरुण गाँधी को बड़ा दुख हुआ। वह अपने मित्र को पत्र लिखता है। वह पत्र तैयार करें।​

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Answered by kartikeygupta2021
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Answer:

डरबन

20 अगस्त 1950

प्रिय मित्र,

नमस्कार।

तुम कैसे हो? सोचता हूँ कुशल से हो। हम यहाँ डरबन में खुशी से जी रहे हैं। अपने जीवन के एक विशिष्ट बात बताने के लिए मैं यह चिट्ठी लिख रहा हूँ। कल पिताजी को मेरी गलती पर प्रायश्चित करना पड़ा। हुआ यह कि पिताजी को शहर में कल एक मीटिंग थी। उन्हें मैंने कार से शहर छोड़ा। शाम पाँच बजे उन्हें लेने जाना था। लेकिन बेन जॉन का सिनेमा देखकर मैं समय भूल गया। देरी के कारण पूछने पर झूठ बोला कि कार ठीक करके गैरेज से नहीं मिला। लेकिन पिताजी बात पहले ही समझ गए थे।

पिताजी ने मेरे झूठ को अपनी गलती माना। वे प्रायश्चित करते हुए घर तक का रास्ता पैदल चले। यह देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। मैं यह निश्चय किया हूँ कि आइंदा झूठ नहीं बोलूंगा। अगर पिताजी मुझे कोई सज़ा दी होती तो मैं ऐसा कोई निर्णय नहीं लेता। मैं यह घटना कभी नहीं भूलूँगा। उसकी याद ज़िंदगी में मुझे सही रास्ते पर ज़रूर ले जाएगी।

अपना दोस्त

अरुण गाँधी।

सेवामें

अरविंद

वर्धा आश्रम

पोरबंदर

गुजरात

भारत

पत्र लिखते समय ध्यान दें…

स्थान और तारीख है।

उचित संबोधन है।

विषय का सही संप्रेषण है।

स्वनिर्देश है।

पता है।

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