9. बात को कहने के तीन प्रमुख तरीके अब तक आप जान चुके होंगे-; (क) अभिधा (ख) लक्षणा (ग) व्यंजना; बताइए, नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से किसका उदाहरण है? यह भी बताइए कि आपको ऐसा क्यों लगता है?; "यदि ब्रिटेन ने भारत में यह बहुत भारी बोझ नहीं उठाया होता (जैसा कि उन्होंने हमें बताया है) और लंबे समय तक हमें स्वराज्य करने की वह कठिन कला नहीं सिखाई होती, जिससे हम इतने अनजान थे,तो भारत न केवल अधिक स्वतंत्र और अधिक समृद्ध होता.... बल्कि उसने कहीं अधिक प्रगति की होती।
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जैसा कि हम जानते हैं कि किसी बात को कहने के तीन प्रमुख तरीका है - अभिधा, लक्षणा और व्यंजना।
१. अभिधा - भाषा की जिस शक्ति से सामान्य , प्रचलित या मुख्य अर्थ प्रकट होता है उसे अभिधा शब्द - शक्ति कहते हैं।
२. लक्षणा - मुख्य अर्थ की बाधा होने पर प्रयोजन के कारण जब मुख्य अर्थ के साथ कोई अन्य अर्थ भी प्रकट हो तो उसे लक्षणा शब्द शक्ति कहते हैं।
३. व्यंजना - अभिधा और लक्षणा की सीमा से बाहर पड़ने वाले अर्थ को व्यंजना शब्द शक्ति कहते हैं। व्यंजना पूरे प्रकरण या प्रसंग में होती है।
नेहरु जी ने अंग्रेजों के कथन ने व्यंजना शब्द शक्ति का प्रयोग किया है। उन्होंने इस बात के लिए अंग्रेजों पर व्यंग किया है कि उन्होंने भारत पर राज्य कर और हमें अपना गुलाम बनाकर हम भारतीयों पर कोई बड़ा एहसान किया है। यदि वे हमें गुलाम न बनाते, हमारा बोझा न ढोते तो भारतवासियों को राज्य करने का गुण प्राप्त ही नहीं होता; जैसे हम भारतीय तो अनाड़ी थे और हमने उन अंग्रेज़ों से देश चलाने और तरक्की करने की कला सीखी हो।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
१. अभिधा - भाषा की जिस शक्ति से सामान्य , प्रचलित या मुख्य अर्थ प्रकट होता है उसे अभिधा शब्द - शक्ति कहते हैं।
२. लक्षणा - मुख्य अर्थ की बाधा होने पर प्रयोजन के कारण जब मुख्य अर्थ के साथ कोई अन्य अर्थ भी प्रकट हो तो उसे लक्षणा शब्द शक्ति कहते हैं।
३. व्यंजना - अभिधा और लक्षणा की सीमा से बाहर पड़ने वाले अर्थ को व्यंजना शब्द शक्ति कहते हैं। व्यंजना पूरे प्रकरण या प्रसंग में होती है।
नेहरु जी ने अंग्रेजों के कथन ने व्यंजना शब्द शक्ति का प्रयोग किया है। उन्होंने इस बात के लिए अंग्रेजों पर व्यंग किया है कि उन्होंने भारत पर राज्य कर और हमें अपना गुलाम बनाकर हम भारतीयों पर कोई बड़ा एहसान किया है। यदि वे हमें गुलाम न बनाते, हमारा बोझा न ढोते तो भारतवासियों को राज्य करने का गुण प्राप्त ही नहीं होता; जैसे हम भारतीय तो अनाड़ी थे और हमने उन अंग्रेज़ों से देश चलाने और तरक्की करने की कला सीखी हो।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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