9. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने 'निर्लज्ज अपराधी' किसे कहा है ?
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9. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने 'निर्लज्ज अपराधी' किसे कहा है ?
हजारी प्रसाद द्विवेदी ने निर्लज्ज अपराधी नाखूनों को कहा है।
व्याख्या :
‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ पाठ में लेखक द्विवेदी जी ने नाखूनों के बढ़ने के विषय पर निबंध लिखा है। यह एक ललित निबंध है, जिसमें वह यह बताते हैं कि नाखून किस किस बात के प्रतीक हैं। हम बार-बार नाखून क्यों काटते हैं। वह कहते हैं कि नाखून पाशविक प्रवृत्ति के प्रतीक हैं और हम नाखूनों को बार-बार काट कर उस पाशविक प्रवृत्ति और बर्बरता को समाप्त करना चाहते हैं। ये नाखून निर्लज्ज अपराधी की तरह हैं, इन्हे कितना भी काटो ये निर्लज्ज अपराधी की तरह पुनः हाजिर हो जाते है।
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