9. जा दिन मन-पंछी उडि-जैहैं।
ता दिन तेरे तन तरुवर के सबै पात झरि जैहैं।।
या देही को गरब न करिये स्यार काग गिध खैहैं।
तीननि में तन क्रमि कै विष्टा के है खाक सडैहैं।।
कहँ वह नीर कहाँ वह सीमा कहँ रंग रूप दिखैहैं।
जिन लोगनि सौं नेह करत है तेही देखि घिनैहैं।।
घर के कहत सबारे काढो भूत होइ धरि खैहैं।
जिन पुत्रनिहिं बहुत प्रतिपाल्यो देवी देव मनैहैं।।
तेही लेइ खोपरी बाँस दै सीस फोरि बिखरैहैं।
अजहूँ मूढ़ करौ सतसंगत संतनि तै
कछु
नर बपु धारि नाहिं जन हरि कै जन की मार सो खैहैं।
सूरदास भगवत भजन बिनु वृथा सौ जनम गवैहैं।।
Answers
Answered by
4
Explanation:
plz mark me as brainliest................
Answered by
0
Answer:
- यह संसार नश्वर है। इस झूठे संसार में ईश्वर ही एकमात्र आधार है। वह ही इस सागर को पार कर सकता है।
- राग झिंझोटी में इस श्लोक के माध्यम से सूरदासजी ने इन भावों को व्यक्त किया है। वह कहता है - हे मानव ! जिस दिन मन रूपी यह पक्षी उड़ जाएगा, उस दिन शरीर रूपी इस वृक्ष के सारे पत्ते टूटकर बिखर जाएंगे, अर्थात् यह शरीर बेजान हो जाएगा।
- इसलिए आपको इस पंचभौतिक शरीर पर गर्व नहीं करना चाहिए। इस शरीर को केवल गीदड़, गिद्ध और कौवे ही खाएंगे। निर्जीव होने पर शरीर की केवल तीन गतियाँ होंगी अर्थात् या तो यह मल बन जाती है या कीड़े गिर जाते हैं या फिर राख बनकर उड़ जाते हैं।
- फिर स्नान, साज-सज्जा और रूप सब नष्ट हो जाएगा। हे इंसान! तुम्हारे मरने के बाद वही लोग तुमसे नफरत करेंगे, जिन्हें तुम अपनों की तरह प्यार करते थे।
- ऐसे में घर के लोग आपको घर से बाहर निकाल देंगे। इस पर भी उनका कथन होगा कि भूत बनकर यह घर को न खा जाए।
- हे मानव पुत्रों की प्राप्ति के लिए ! आपने देवी-देवताओं को मनाया और जिन पुत्रों को आपने प्यार से पाला, वही पुत्र आपकी खोपड़ी को तोड़ देंगे, अर्थात कपाल क्रिया करेंगे। इसलिए तुम मूर्ख हो! तुम संतों के साथ रहो|
- ऐसा करने से आपको कुछ ज्ञान प्राप्त होगा। यदि तुम मनुष्य का चोला पहन कर भी हरि की पूजा नहीं करते हो, तो मृत्यु के बाद तुम यम से कोडे खाओगे।
- सूरदास कहते हैं कि भगवान की पूजा के बिना मनुष्य के लिए यह शरीर के रूप में प्राप्त धन व्यर्थ है।
#SPJ2
Similar questions