9. लेखक फादर की बाहों का दबाव अपनी छाती पर कैसे महसूस कर रहा हैं ?
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फादर बुल्के‘ के मन में अपने प्रियजनों के असीम ममता और अपनत्व था। लेखक से उनका घनिष्ठ संबंध रहा था। ‘फादर बुल्के’ जो एक विदेशी व्यक्ति थे पर ‘हिंदी’ भाषा के प्रति उनका गहरा लगाव था। जहरवाद की बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गयी थी।
यहां इन पंक्तियों में लेखक ‘फादर बुल्के’ के याद करते हुए इन पक्तियों के माध्यम से ये कहता है कि ‘फादर बुल्के’ अत्यन्त मिलनसार थे, लेखक को वो दिन याद आते हैं जब वह ‘फादर बुल्के’ से मिलता तो वो उसे झट से गले लगा लेते। लेखक आज भी ‘फादर बुल्के’ की उस आत्मीयता को नही भूला है ‘फादर बुल्के’ की उन बांहों के दबाव को, जब वो उसे अपनी गले से लगा लेते थे, तब उसने महसूस किया था, नही भूला है।
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