Hindi, asked by anruddhtiwari08, 5 months ago

9. "मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो ना कोई
जा के सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई
छोड़ि दयी कुल की कानि, कहा करि हुँ कोई?
संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक-लाज खोयी
अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेमि बेलि बोयी।"
(क) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
ey​

Answers

Answered by MudrikaRajesh
0

Answer:

इस पद में मीरा का कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम व्यक्त हुआ है। वे कुल की मर्यादा को भी छोड़ देती हैं तथा कृष्ण को अपना सर्वस्व मानती हैं। उन्होंने कृष्ण-प्रेम की बेल को आँसुओं से सींचकर बड़ा किया है और भक्ति रूपी मथानी से सार रूपी घी निकाला है। वे प्रभु से अपने उद्धार की प्रार्थना करती हैं और उससे विरह की पीड़ा सहती हैं।

● राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा में सुंदर अभिव्यक्ति है।

● भक्ति रस है।

● ‘दूध की मथनियाँ . छोयी’ में अन्योक्ति अलंकार है।

● ‘प्रेम-बेलि’, ‘आणद-फल’ में रूपक अलंकार है।

● अनुप्रास अलंकार की छटा है-

Similar questions