9 मकान की शक्ल वार्षिक मूल्य
को समझाइए
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बेशक, आप और धन अर्जित करने के लिए अन्य संपत्ति में निवेश किया है। लेकिन, आपकी दूसरी आय के समान, जो कि आप किराए के रूप में अर्जित करते हैं, वह संपत्ति के वास्तविक मूल्य के आधार पर कर के अधीन होगा। आप को याद रखें, भले ही आपकी संपत्ति एक वर्ष के दौरान किसी भाग के लिए बाहर न जाए, तो आपको प्राप्य काल्पनिक किराए पर आधारित करों का भुगतान करना होगा। लेकिन कोई एक संपत्ति के वास्तविक मूल्य पर कैसे पहुंचता है? आयकर (आई-टी) अधिनियम की धारा 23 (1) (ए) के अनुसार, आपकी संपत्ति का वार्षिक मूल्य वह राशि है जो वर्ष-दर-वर्ष के दौरान बाहर आने पर आपको कमाई की उम्मीद करता है। चार कारकों के आधार पर, एक संपत्ति का वार्षिक मूल्य आ गया है। नगरपालिका मूल्य स्थानीय करों को चार्ज करने के उद्देश्य के लिए, नगरपालिका निकायों आपकी संपत्ति का मूल्यांकन करते हैं अपनी संपत्ति के लिए मूल्य निर्दिष्ट करते समय, नगरपालिकाएं कई कारकों को ध्यान में रखते हैं इनमें स्थान, आकार, सुविधाएं आदि शामिल हैं। उदाहरण के लिए, एक आवास सोसायटी में एक 1 बीएचके अपार्टमेंट जो शहर के नजदीक है, से उपनगरीय इलाके में समान इकाई की तुलना में अधिक किराया मिलने की उम्मीद है। वास्तविक किराया प्राप्त या प्राप्त करने योग्य यह वह राशि है जिसे आप अपने किरायेदार से वार्षिक आधार पर प्राप्त करते हैं। हालांकि, आपकी वास्तविक आय की गणना किराए के यूनिट के उपयोग बिल का भुगतान करने के आधार पर की जाएगी। उचित किराया आपको अन्य लोगों की तुलना में अपनी संपत्ति के लिए किराया कम हो सकता है, जिन्होंने समान क्षेत्र में समान गुणों को किराए पर लिया है। इसका मतलब है कि आप कमाई नहीं कर रहे हैं जो "उचित" राशि के रूप में किराए के रूप में जाना जाता है किराया जो इसी तरह की समान संपत्तियों के साथ मिलते-जुलते क्षेत्रों में समान गुण हैं, उचित किराया मूल्य है। मानक किराया क्षेत्र जहां किराए पर नियंत्रण अधिनियम लागू होता है, एक मानक दर तय की जाती है। ऐसी संपत्ति के जमींदारों को अपनी संपत्ति के बाजार मूल्य के बावजूद, इस राशि में रहना होगा। मिसाल के तौर पर, दिल्ली के कनॉट प्लेस में संपत्तियां कम वार्षिक राशि प्राप्त करती हैं क्योंकि इस क्षेत्र में इमारतों को किराए पर नियंत्रण अधिनियम के दायरे के अंतर्गत आता है। अब, आपकी संपत्ति का वार्षिक मूल्य इन राशियों में सबसे अधिक होगा - किराया प्राप्त या प्राप्य, उचित बाजार मूल्य या नगरपालिका मूल्यांकन। यह नमूना। आपकी नगर पालिका ने आपकी संपत्ति 1.20 लाख रुपये प्रति वर्ष की है, जबकि इसकी उचित बाजार मूल्य रुपये 3 लाख है दूसरी तरफ, आप संपत्ति से किराए के रूप में प्रतिवर्ष 2.80 लाख रुपये कमाते हैं। आपकी संपत्ति का उचित बाजार मूल्य तीनों की सबसे अधिक राशि है, आपकी संपत्ति का वास्तविक किराये मूल्य 3 लाख रुपये है, और इस राशि के आधार पर आपको अपने घर की संपत्ति पर करों का भुगतान करना होगा।
Answer:
सरल शब्दों में वार्षिक मूल्य से तात्पर्य आपकी उस सम्पति से है, जिस सम्पति के बदले जो किराया बनता है या उस सम्पति को वार्षिक आधार पर किराए पर दिया जा सकता है, और बाद में सालभर का किराया निकलकर आता है उसे वार्षिक मूल्य कहा जाता है।
Explanation:
आयकर अधिनियम की धारा 23 (1) के अनुसार मकान सम्पत्ति के वार्षिक मूल्य से आशय उस धन राशि से है जिस पर वह सम्पत्ति उचित रूप से प्रतिवर्ष किराये पर उठायी जा सकती है। इस प्रकार वार्षिक मूल्य से आशय मकान से प्राप्त होने वाले किराये से नहीं बल्कि उस अनुमानित किराये से है जिस पर वह मकान उठाया जा सकता है। वार्षिक मूल्य की विस्तृत विवेचना करने से पूर्व वार्षिक मूल्य के सम्बन्ध में प्रयुक्त शब्दावली के अर्थ को समझना आवश्यक है-
नगर पालिका मूल्यांकन (Municipal Valuation)- गृहकर, जलकर, सीवरकर आदि वसूल करने के लिए स्थानीय सरकार (नगरपालिका, नगर परिषद या नगर निगम) द्वारा सम्पत्ति की अनुमानित वार्षिक आय (अर्थात् सम्बन्धित सम्पत्ति से एक वर्ष में किराये की कितनी आय प्राप्त हो सकती है) को ‘नगरपालिका मूल्यांकन कहते हैं ।
उचित किराया (Reasonable or Fair Rent)- उचित किराये से आशय किराये की उस आय से है जो सम्बन्धित सम्पत्ति जिस क्षेत्र में स्थित है, उसी क्षेत्र में अथवा उसी जैसे: अन्य किसी क्षेत्र में उसी प्रकार की सम्पत्ति को किराये पर देने से प्राप्त की जा सकती है।
प्रमापित या मानक किराया (Standard Rent)- किराया नियन्त्रण अधिनियम के अन्तर्गत सम्बन्धित सरकारी अधिकारी (जिलाधिकारी या उपजिलाधिकारी आदि) द्वारा सम्बन्धित सम्पत्ति हेतु निर्धारित किया गया किराया ‘प्रमापित या मानक किराया’ कहलाता है।
वास्तव में प्राप्त या प्राप्य किराया (Actual Rent)- किराये पर उठाये गये मकान के सम्बन्ध में किरायेदार से प्राप्त किराये की रकम को ही वास्तव में प्राप्त या वास्तविक किराया कहते हैं। जबकि प्राप्य किराये का आशय ऐसे किराये की राशि से है जो गतवर्ष की समाप्ति तक किरायेदार से प्राप्त नहीं हुआ है परन्तु प्राप्त होने की पूर्ण सम्भावना है।
कभी-कभी मकान मालिक मकान को किराये पर देते समय किरायेदार को कुछ सुविधाएं प्रदान करने का दायित्व अपने ऊपर ले लेता है, जैसे-लिफ्ट, पानी चढ़ाने का पम्प, बिजली, वाहन पार्क करने, माली, आदि की सुविधाएं। ऐसी दशा में प्राप्त किराये की राशि में से किरायेदार से किये गये अनुबन्ध के अन्तर्गत इन सुविधाओं पर मकान मालिक द्वारा किया गया व्यय घटाकर जो राशि शेष बचेगी वही राशि उस मकान का वास्तविक किराया मानी जाएगी। इसी प्रकार यदि किरायेदार ने मकान मालिक के किसी दायित्व को भुगतान करने का अनुरोध किया है तो इस प्रकार भुगतान की गई राशि को प्राप्त किराये की राशि में जोड़कर जो राशि आएगी वही राशि उस मकान का वास्तविक किराया मानी जाएगी परन्तु निम्नलिखित के सम्बन्ध में प्राप्त किराये की राशि में किसी प्रकार का समायोजन नहीं किया जाएगा
(i) किरायेदार द्वारा उस मकान (या भाग) के सम्बन्ध में नगरपालिका कर का भुगतान जिसमें वह रह रहा है;
(ii) किरायेदार द्वारा मकान की मरम्मत पर किया गया व्यय;
(iii) मकान मालिक ने किरायेदार से जितनी राशि जमा (Security) के रूप में प्राप्त की है उस पर कल्पित (Notional) ब्याज की रकम।
यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है प्राप्त या प्राप्य किराये से तात्पर्य वास्तव में वसूल किये गये अथवा वसूल किये जाने योग्य किराये से है जिसमें निर्धारित शर्तों [i) किरायेदारी वास्तविक हो; (ii) किरायेदार ने मकान खाली कर दिया हो या इसके लिए आवश्यक कार्यवाही की जा चुकी हो; (iii) करदाता के किसी अन्य मकान पर उस किरायेदार का कब्जा न हो; (iv) बकाया किराये की रकम वसूल करने के लिए आवश्यक कानूनी कार्यवाही की जा चुकी हो या ऐसी कार्यवाही करना व्यर्थ हो के पूरा होने पर न वसूल हुआ किराया एवं मकान के किराये पर न आ सकने अर्थात् मकान के किराये से खाली रहने की अवधि का किराया सम्मिलित नहीं है।
अपेक्षित/सम्भावित किराया (Expected Rent)- धारा 23 (1)(a) के अनुसार अपेक्षित किराये से आशय ऐसी राशि से है, जिस पर मकान सम्पत्ति को वर्ष-प्रतिवर्ष किराये पर उठाया जाना चाहिए। आय-कर अधिनियम के अनुसार अपेक्षित किराये को निम्नलिखित प्रकार से निर्धारित किया जाता है-
(अ) से मकान जो किराया नियन्त्रण अधिनियम (Rent Control Act) के अन्तर्गत नहीं आते हैं- ऐसा तभी माना जायेगा जब ऐसी सूचना दी हुई हो अथवा प्रमापित किराये/मानक किराये की कोई जानकारी प्रश्न में न दी गई हो। नगरपालिका मूल्य एवं उचित किराये में जिसकी रकम अधिक हो उसे ही ‘अपेक्षित किराया’ माना जाता है
(ब) ऐसे मकान जो किराया नियन्त्रण अधिनियम के अन्तर्गत आते हैं- ऐसी दशा में निम्नलिखित में जो राशि कम होगी, उसे अपेक्षित किराया माना जाता है
(i) नगरपालिका मूल्य एवं उचित किराये में जिसकी रकम अधिक हो; अथवा
(ii) प्रमापित/मानक किराये की रकम नोट-अपेक्षित/सम्भावित किराया, मानक किराये की रकम से अधिक नहीं हो सकता, परन्तु मानक किराये की रकम से कम हो सकता है।
वार्षिक मूल्य का निर्धारण : आयकर अधिनियम की धारा 23 में वार्षिक मूल्य को परिभाषित करते समय सकल वार्षिक मूल्य’ एवं ‘शुद्ध वार्षिक मूल्य’ शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है, परन्तु भ्रमपूर्ण स्थिति से बचने के लिए इन शब्दों को व्यावहारिक रूप से प्रयोग किया जा रहा है। वस्तुत: आय-कर अधिनियम में प्रयुक्त ‘वार्षिक मूल्य’ हेतु शुद्ध वार्षिक मूल्य’ शब्द का प्रयोग कर रहे हैं।
विभिन्न परिस्थितियों में मकान के वार्षिक मूल्य की गणना
किराये पर दिया गया ऐसा मकान जो गत वर्ष में किसी भी समय खाली न रहा हो : ऐसी दशा में सम्भावित किराया या वास्तविक किराया, जो दोनों में अधिक होगा वह सकल वार्षिक मूल्य माना जायेगा, जिसमें से गत वर्ष में मकान मालिक द्वारा चुकाए गए नगरपालिका कर की राशि घटा दी जाएगी एवं तदुपरान्त बची हुई शेष राशि ही किराये पर उठाये गए मकान का वार्षिक मूल्य कहलायेगी।
#SPJ2