Hindi, asked by shani296, 6 months ago

9 निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 80-100
शब्दों में अनुच्छेद लिखिए-
(i) पाश्चात्य संस्कृति और युवा
• संस्कृति का अर्थ
• पाश्चात्य संस्कृति का युवाओं पर प्रभाव
• आज का युवा और भारतीयता के प्रति दायित्व​

Answers

Answered by answerpls26
0

Answer:

I'm animal lvr Nd Ur cat is so cute that I really wanna meet her/him

Explanation:

im having 3 more cats but at my grandpa's house ..

2 are pure white half Persian and 1 is pure white full Persian

but now also we are still confuse that what is breed of my ginger cat

when I'll go to my grandpa's house, there will be 4cats and I'm so excited

Nd I've seen that photo on ur third ques somewhere so I need Google lens to see from where did u get that (just for time pass)

Why would I search Ur cat photo on Google lens when I know it's not cuz it don't look fake like that girl's photo at all

Attachments:
Answered by shivashish4444
2

Answer:

follow me and make me brainlist and thanks my ans

plz

Explanation:

हर व्यक्ति का समाज, परिवार, दोस्तों व अपने काम के प्रति कुछ न कुछ दायित्व होता है। इसे निभाने के लिए हमें गंभीर भी होना चाहिए। हमें अपने दायित्व को निभाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। इन सभी दायित्वों में देश के प्रति कुछ करना, हमारा प्रमुख दायित्व है। हमें किसी न किसी रूप में इसे पूरा भी करना चाहिए। जरूरतमंदों की मदद, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए हमें हमेशा आगे आना चाहिए। युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाना, उसे अच्छे-बुरे की समझ करवाकर भी हम अच्छे समाज का निर्माण कर सकते हैं। आज की युवा आधुनिकता के रंग में अपने संस्कारों, नैतिकता और बड़ो का आदर करना भूल रही है। हमारा दायित्व है कि युवा पीढ़ी को सही मार्ग दिखाएं, ताकि आने वाला कल अच्छा हो। जहां पर बच्चा गलत करता है उसे टोकना चाहिए।

संसार में मानव परमात्मा की प्रमुख व खूबसूरत कलाकृति है तथा मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मानव होने के नाते हम कुछ ऐसी मानवीय संवेदनाओं, आवश्यकताओं, अपेक्षाओं व धारणाओं के सूत्र में बंधे हुए हैं, जिसका कोई कानूनी, शास्त्रीय, धार्मिक या जातीय प्रतिबंध न होते हुए भी हमारे निजी, सामाजिक, पारिवारिक और राष्ट्रीय जीवन से सीधा सरोकार है। इनका निर्वाह हमारे नैतिक दायित्व के अंर्तगत प्रमुख है। किसी लाभ, स्वार्थ या प्रतिफल की इच्छा के बिना दूसरों की मंगल कामना, लोक कल्याण, सबके हित में योगदान करना भी हमारे दायित्व में आता है।

आज से 30 वर्ष पूर्व 1986 में डीएवी संस्था से जुड़ने का मौका मिला तो जीवन की दिशा ही परिवर्तित हो गई। जीवन को नए अर्थ मिलने लगे। यह एहसास हुआ कि गुरु का कार्य केवल पुस्तकों के ज्ञान की मंजिल तक सीमित नहीं है, अपितु उसका पथ प्रदर्शक बन व्यावहारिकता में उसे मंजिल तक पंहुचाना भी है।

आज की युवा पीढ़ी को भावी व चरित्रवान बनाना तथा पौराणिक ज्ञान से दनुप्रमाणित होकर आधुनिक तकनीक और विज्ञान में भी किसी से पीछे न रहने की पद्धति का अनोखा संगम बच्चों के भविष्य को एक स्वर्णिम राह की ओर ले जाएगा। अगर सभी अच्छे बन जाएंगे तो निश्चित रूप से समस्त समाज भी अच्छा हो जाएगा। शिक्षक के रूप में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य शिष्यों को सभ्य एवं शिक्षित बनाना है न केवल साक्षर। शिक्षक होने के नाते हमारा दायित्व हो जाता है कि बच्चों में नैतिक मूल्यों को भी भरें और संस्कारों को लेकर उनके साथ रोजाना बातचीत की जाए। रोजाना अगर संस्कार की बात होगी तो बच्चे स्वयं ही नैतिक मूल्य व संस्कारों के प्रति सजग रहेंगे जिससे हमारा दायित्व भी पूरा हो जाएगा।

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