Social Sciences, asked by ugmarambeniwal5, 9 days ago

9. "न्यायपालिका के बिना एक सभ्य समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।" उक्त कथन किसका है? 1 (अ) मेरियट (ब) ब्राइस (स) गार्नर (द) जे.एस.वर्मा ( ) ​

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Answered by snakequeen576
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Answer:

Garner sorry mine keyboard is not working so I wrote in english letters

Answered by Rameshjangid
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" न्यायपालिका के बिना सभ्य समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है।" यह कथन प्रोफेसर गार्नर का है ।

न्यायपालिका :- किसी भी सभ्य समाज के लिए न्यायपालिका एक महत्वपूर्ण कड़ी है। न्यायपालिका जनतंत्र के तीन प्रमुख अंग में से एक है। अन्य दो अंग है- पहला कार्यपालिका दूसरा विधायिका।

  • न्यायपालिका, संप्रभुतासम्पन्न राज्य की तरफ से कानून का सही अर्थ निकालती है एवं कानून के अनुसार ना चलने वालों पर दंड निर्धारित करती है।
  • न्यायपालिका समाज में बुरे लोगों को अपराध करने से रोकने उन अपराधियों को दंड देने के लिए कार्य करती है।
  • इस प्रकार न्यायपालिका विवादों को सुलझाने एवं अपराध कम करने का काम करती है प्रत्यक्ष रूप से समाज के विकास का मार्ग प्रशस्त करती है यह समाज में पहले बुराइयों को समाप्त करने का प्रयास करती है।
  • न्यायपालिका शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत के सार अनुसार न्यायपालिका स्वयं कोई नियम नहीं बनाती और ना ही यह कोई कानून का क्रियान्वयन करती है।
  • सबको समान न्याय प्रदान करना न्यायपालिका का असली कार्य है।
  • न्यायपालिका के अंतर्गत कोई एक सर्वोच्च •न्यायालय होता है एवं उसके अधीन विभिन्न न्यायालय (कोट) होते हैं।
  • न्यायपालिका समाज में फैली बुराइयों को समाप्त कर एक सभ्य समाज का निर्माण करता है।

अन्य विकल्प -

(अ) मेरियट - मेरियट इस सोच के विपरित विचारधारा के व्यक्ति थे ।

(ब) ब्राइस - वे ऑस्ट्रेलिया के एक राजनीतिज्ञ थे। वे ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर-जनरल के पद पर भी नियुक्त किये गए थे।

(द) जे.एस.वर्मा - वे एक प्रसिद्ध भारतीय न्यायविद थे । वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष भी रहे थे।

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