9. नगरवाद एक जीवनशैली के रूप में
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नगरवाद एक जीवनशैली के रूप में
Explanation:
परिवर्तन प्रकृति का नियम है और मानव समाज भी प्रकृति का एक अंग है। अतः मानव समाज भी परिवर्तनशील है। यही कारण है कि मानव समाज वर्तमान में वैसा नहीं है जैसा हजारों वर्ष पूर्व था। मानव असभ्य से सभ्य, अविकसित से विकसित तथा गाँव से नगर की ओर गतिशील है। वर्तमान काल आधुनिकीकरण का है, जिसका नगरीकरण एक अभिन्न अंग है। यद्यपि जिस गति से नगरीकरण हो रहा है, उस गति से नगरीयता का विकास नहीं हो पा रहा है। प्रस्तुत लेख में जीवन शैली के रूप में नगरीयता का विश्लेषण करने का प्रयास किया गया है। नगरीय समाजशास्त्र की मूलभूत अवधारणाओं में नगरीयता एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। लेकिन नगरीयता की अवधारणा के सम्बन्ध में समाजशास्त्रियों के बीच मतभेद पाया जाता है। इसलिये सभी विद्वानों ने इसे अपने-अपने ढंग से स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है। अतः सर्वप्रथम विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गयी नगरीयता की परिभाषाओं का विश्लेषण करना आवश्यक प्रतीत होता है।