9. राजेन्द्र यादव की कहानी-कला पर विचार करिय?
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प्रारंभ में कला सम्मोहित करती है और वह द्वंद्व में होता है। यह द्वंद्व ही राजेन्द्र के लेखक का बीजमंत्र है, उन्हें जिंदगी चाहिए, जिंदगी के रूप चाहिए, रस चाहिए, स्वाद चाहिए, सौंदर्य चाहिए, कला इस रूप, रस, स्वाद और सौंदर्य का उदात्तीकरण है।
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