India Languages, asked by sheikhsultan494, 4 months ago

9th क्लास,
मराठी,
निरोप कविता,
स्वाध्याय.​

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Answered by Anonymous
88

Answer:

✶⊶⊷⊶⊷❍ ɦεεყα. ❍⊶⊷⊶⊷✶

आपका उत्तर निम्नलीखित है।

हम सभी उस दौर से निकले है जब परीक्षाओं के सीजन में पूरा दिन किताबों पर बैठे बैठे टेंशन में बीत जाया करता था. पास होने के लिए तथा फेल होने के डर तथा घर वालो की डांट से बचने के लिए परीक्षा में अच्छे अंकों से उतीर्ण होना हर विद्यार्थी चाहता हैं. स्कूल तथा कॉलेज में अर्द्धवार्षिक तथा वार्षिक परीक्षाओं का आयोजन होता हैं बीच बीच में परीक्षणों का भी आयोजन होता रहता हैं.यदि परीक्षा ही न होगी तो बच्चों में पढ़ाई के प्रति न भय न होगा न ही कोई आकर्षण. वह परीक्षा पास करने या अगले वर्ष में प्रवेश के सम्बन्ध में कोई चिंता नहीं करेगा. यह भारत के भविष्य तथा बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा. यदि परीक्षा ना होती तो हमें कोई भी भय नहीं होता हर एक विद्यार्थी यह सोच कर पढ़ाई करता है कि आने वाले समय में उसकी परीक्षा हो और वह उतीर्ण हो लेकिन अगर परीक्षा ही ना होती तो उसे किसी भी तरह का भय नहीं होता और वह परीक्षा की तैयारी नहीं करता वाकई में परीक्षा का भय ही एक स्टूडेंट के लिए लाभप्रद साबित होता है.यदि परीक्षा ना हो तो बच्चें अवश्य बहुत खुश होंगे. मगर यह कोई समस्या का समाधान नहीं हो सकता, बल्कि कई समस्याओं को जन्म देनी वाली स्थिति हो सकती हैं. बच्चों को परीक्षा के तनाव से बचाने के लिए उनके पाठ्यक्रम को कम किया जा सकता हैं, प्राथमिक कक्षाओं में फेल न करने की नीति अपनाई जा सकती हैं. Explanation:

हम सभी उस दौर से निकले है जब परीक्षाओं के सीजन में पूरा दिन किताबों पर बैठे बैठे टेंशन में बीत जाया करता था. पास होने के लिए तथा फेल होने के डर तथा घर वालो की डांट से बचने के लिए परीक्षा में अच्छे अंकों से उतीर्ण होना हर विद्यार्थी चाहता हैं. स्कूल तथा कॉलेज में अर्द्धवार्षिक तथा वार्षिक परीक्षाओं का आयोजन होता हैं बीच बीच में परीक्षणों का भी आयोजन होता रहता हैं.यदि परीक्षा ही न होगी तो बच्चों में पढ़ाई के प्रति न भय न होगा न ही कोई आकर्षण. वह परीक्षा पास करने या अगले वर्ष में प्रवेश के सम्बन्ध में कोई चिंता नहीं करेगा. यह भारत के भविष्य तथा बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा. यदि परीक्षा ना होती तो हमें कोई भी भय नहीं होता हर एक विद्यार्थी यह सोच कर पढ़ाई करता है कि आने वाले समय में उसकी परीक्षा हो और वह उतीर्ण हो लेकिन अगर परीक्षा ही ना होती तो उसे किसी भी तरह का भय नहीं होता और वह परीक्षा की तैयारी नहीं करता वाकई में परीक्षा का भय ही एक स्टूडेंट के लिए लाभप्रद साबित होता है.यदि परीक्षा ना हो तो बच्चें अवश्य बहुत खुश होंगे. मगर यह कोई समस्या का समाधान नहीं हो सकता, बल्कि कई समस्याओं को जन्म देनी वाली स्थिति हो सकती हैं. बच्चों को परीक्षा के तनाव से बचाने के लिए उनके पाठ्यक्रम को कम किया जा सकता हैं, प्राथमिक कक्षाओं में फेल न करने की नीति अपनाई जा सकती हैं. Explanation:➶➶➶➶➶ ----នϧʀ៩ƴ♬នϧ ➷➷➷➷➷

Explanation:

▀▄▀▄▀▄ ρℓєαѕє mark as ᖲƦ♬ɨ⩎ɭɨនƬ ▄▀▄▀▄▀.

Answered by helper1230
2

Answer:

Actually I gave a short and sweet answer of this question , the another answer was too lengthy please mark as brainliest if it helps you it's your responsibility to mark as brainliest because I answered your question .

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