A 150 word essay on trip to kerela in hindi
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ईश्वर ने तो पूरा ब्रह्मांड रचा है, फिर भी कहते हैं ईश्वर की अपनी धरती केरल है। भारत के दक्षिण पश्चिम छोर पर यह प्रदेश बहुत ही सुन्दर और हरा भरा है। हाल ही में मुझे सपरिवार इस प्रदेश की यात्रा करने का अवसर मिला। ये यात्रा मेरी अति सुखद और यादगार यात्रा रही।
कोची ऐरनाकुलम सटे हुए दो शहर, केरल के बड़े शहर है, ये तटीय शहर हैं, कोची एक व्यावसायिक बन्दरगाह होने के साथ भारतीय नौसना का मुख्य केन्द्र भी है। केरल का पूरा समुद्रतट कटाफटा है और बैक वाटर धरती के बीच आकर गलियाँ सी बना लेते हैं जो वहाँ रहने वालों के लियें स्थानीय यातायात का साधन भी बन जाती हैं। इन पानी के रास्तों पर मोटरबोट के स्टैंड बने होते हैं जिनसे यात्री शहर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से मे आते जाते रहते हैं ,सड़क के रास्ते अधिकतर बहुत लम्बे होते हैं। मोटर बोट के अलावा भी छोटी छोटी नावों से लोग इधर उधर आते जाते रहते हैं। इन बैकवाटर की गलियों के तटों पर केले के पेड़ो के झुंड और नारियल के पेड़ों के समूह बहुत ज़्यादा नज़र आते हैं। लगभग सभी तटीय शहरों मे ऐसी व्यवस्था है।
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