(अ) आपको क्या पता बाबू जी कि इनकी असली लागत क्या है! यह तो ग्राहकों का दस्तूर होता है कि दुकानदार चाहे हानि उठाकर चीज क्यों न बेचे, पर ग्राहक यही समझते हैं दुकानदार मुझे लूट रहा है। आप भला काहे को विश्वास करेंगे? लेकिन सच पूछिए तो बाबू जी, असली दाम दो ही पैसा है।
(क) यह पंक्तियाँ किसने, किससे कहीं?
(ख) मुरली का दाम कितना था?
(ग) 'असली दाम दो ही पैसा है।' मुरलीवाले ने ऐसा क्यों कहा?
(घ) क्या मुरलीवाला अधिक पैसे ले रहा था
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ग) 'असली दाम दो ही पैसा है।' मुरलीवाले ने ऐसा क्यों कहा?
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मुरलीवाला- आपको क्या पता बाबूजी इनकी असली लागत क्या है? यह तो ग्राहकों का दस्तूर होता है कि दुकानदार चाहे हानि उठाकर चीज क्यों न बेचे, पर ग्राहक यही समझते हैं कि दुकानदार मुझे लूट रहा है। आप कहीं से दो पैसे में ये मुरलियाँ नहीं पा सकते। मैंने तो पूरी एक हजार बनवाई थीं, तब मुझे इस भाव पड़ी है।
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