Hindi, asked by goluminj27, 11 days ago

(अ) बँधकर घुलना अथवा जल पर भर दीपदान कर खुलना तुमको सभी सहज है, मुझको कपूरवर्ति बांस, घुत्वना​

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Answered by sr449250
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3 + 2

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Answered by krishna210398
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Answer:

बँधकर घुलना अथवा जल पर भर दीपदान कर खुलना तुमको सभी सहज है, मुझको कपूरवर्ति बांस, घुत्वना​

Explanation:

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ छायावादी काव्यधारा के प्रवर्त्तक श्री जयशंकर प्रसाद के द्वारा रचित कविता ‘आत्मकथ्य' से ली गई हैं। कवि से कहा गया था कि वह अपनी जीवन कहानी लिखे ताकि सभी उससे परिचित हो सकें पर कवि को लगता था कि उसकी जीवनी में कुछ भी ऐसा विशेष नहीं है जिससे अन्यों को सुख प्राप्त हो सके।

व्याख्या- कवि कहता है कि उसका जीवन छोटा-सा है, सुखों से रहित है इसलिए वह उससे संबंधित बड़ी बड़ी कहानियाँ आज किस प्रकार सुनाए । वह अपनी कहानी सुनाने की अपेक्षा चुप रहकर औरों की कहानियों को सुनना अच्छा मानता है। वह उनकी कहानियों से कुछ पाना चाहता है। वह पूछता है कि लोग उसकी अपनी कहानी को सुनकर क्या करेंगे? उसकी जीवन कहानी तो सीधी-सादी और भोली-भाली थी जिसमें कोई भी विशेष आकर्षण नहीं था। उसे लगता है कि अभी उसे अपनी कहानी सुनाने का अवसर भी अनुकूल नहीं था। उसकी मौन पीड़ा तो अभी थकी-हारी सो रही थी, उसके मन में छिपी हुई थी।

बँधकर घुलना अथवा जल पर भर दीपदान कर खुलना तुमको सभी सहज है, मुझको कपूरवर्ति बांस, घुत्वना​

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नोट, सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येकी 1. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या (अ) बँधकर घुलना अथवा जल पर भर दीपदान कर खुलना तुमको सभी सहज है, मुझको कपूरवर्ति बांस, घुत्वना​

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