'अंबर कुंजा कुरलिया, गरजि भरे सब ताल के रचयिता का नाम लिखिए।
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अमर कुंजा कोरलिया गरजी भरे सप्ताह के रचयिता
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अबंर कुँजाँ कुरलियाँ, गरिज भरे सब ताल।
जिनि थे गोविंद बीछुटे, तिनके कौण हवाल॥
- इस दोहे को संत कबीर दास जी ने लिखा है।
- भावार्थ: - यह जीवन में भगवान की भक्ति के महत्व को दर्शाता है। मेघ गरज कर बरस पड़े और पक्षी के रोने पर जलाशयों में पानी भर दिया और उस पर दया कर दी, लेकिन अगर कोई व्यक्ति गोविंद (भगवान) से दूर हो जाता है, तो कोई भी उसके प्रति सहानुभूति नहीं दिखाएगा और उस व्यक्ति के पास कोई ठिकाना नहीं होगा।
#SPJ3
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