A brief paragraph on bismilaah khan and its sehnai
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Ustad Bismillah Khan एक ऐसे व्यक्ति जो कोमल हृदय मानव संगीत के द्वारा आत्मा की गहराइयों में उतर जाते थे। ऐसा व्यक्तित्व वर्ल्ड फेमस शहनाई वादक के रूप में जाने जाते हैं। शहनाई की दुनिया में उस्ताद बिस्मिल्ला खान को शहनाई का जादूगर भी माना जाता है। तो चलिए जानते है, आज इस शहनाई के जादूगर के बारे में जिसने लोगों के दिलों में अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी।
बिस्मिल्लाह खान का जन्म 30 मार्च 1916 को डुमरांव (बिहार) में हुआ। उनके पूर्वज डुमराव रियासत के दरबारी संगीतज्ञ थे। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उनके चाचा अलीबक्स से बिरासत मिली थी। अलीबाक्स वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाते थे। चाचा की शिक्षा से उनकी संगीत के प्रति गहरी समझ विकसित हुई। वही सभी धर्मों के प्रति आदर का भाव भी प्रकट हुआ। उन्होंने अपना जीवन संगीत को समर्पित कर दिया और शहनाई वादन को विश्व स्तर पर नई ऊंचाइयां देने का निश्चय कर लिया।
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान संगीत और पूजा को एक ही दृष्टि से देखते थे। उनका मानना था कि संगीत सुर और पूजा एक ही चीज है। बिस्मिल्लाह खान ने अपनी शहनाई की गूंज से अफगानिस्तान, यूरोप, ईरान, इराक, कनाडा, अफ्रीका, रूस, अमेरिका, जापान, हांगकांग सहित विश्व के सभी प्रमुख देशों की श्रोताओं को भावविभोर किया। उनका संगीत समुंद्र की तरह विराट था। लेकिन वह विनम्रतापूर्वक कहते थे। मैं अभी मुश्किल से इसके किनारे तक ही पहुंच पाया हूं मेरी खोज अभी जारी है।
Achievements of Ustad Bismillah Khan (बिस्मिल्लाह खान की उपलब्धियां)
संगीत में अतुलनीय योगदान हेतु Ustad Bismillah Khan को देश-विदेश में विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जो इस प्रकार है।
उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सन् 2001 में प्रदान किया गया।संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार।तानसेन पुरस्कार।मध्यप्रदेश राज्य पुरस्कार।पदमविभूषण पुरस्कार।
बिस्मिल्लाह खान का जन्म 30 मार्च 1916 को डुमरांव (बिहार) में हुआ। उनके पूर्वज डुमराव रियासत के दरबारी संगीतज्ञ थे। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उनके चाचा अलीबक्स से बिरासत मिली थी। अलीबाक्स वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाते थे। चाचा की शिक्षा से उनकी संगीत के प्रति गहरी समझ विकसित हुई। वही सभी धर्मों के प्रति आदर का भाव भी प्रकट हुआ। उन्होंने अपना जीवन संगीत को समर्पित कर दिया और शहनाई वादन को विश्व स्तर पर नई ऊंचाइयां देने का निश्चय कर लिया।
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान संगीत और पूजा को एक ही दृष्टि से देखते थे। उनका मानना था कि संगीत सुर और पूजा एक ही चीज है। बिस्मिल्लाह खान ने अपनी शहनाई की गूंज से अफगानिस्तान, यूरोप, ईरान, इराक, कनाडा, अफ्रीका, रूस, अमेरिका, जापान, हांगकांग सहित विश्व के सभी प्रमुख देशों की श्रोताओं को भावविभोर किया। उनका संगीत समुंद्र की तरह विराट था। लेकिन वह विनम्रतापूर्वक कहते थे। मैं अभी मुश्किल से इसके किनारे तक ही पहुंच पाया हूं मेरी खोज अभी जारी है।
Achievements of Ustad Bismillah Khan (बिस्मिल्लाह खान की उपलब्धियां)
संगीत में अतुलनीय योगदान हेतु Ustad Bismillah Khan को देश-विदेश में विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जो इस प्रकार है।
उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सन् 2001 में प्रदान किया गया।संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार।तानसेन पुरस्कार।मध्यप्रदेश राज्य पुरस्कार।पदमविभूषण पुरस्कार।
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