A brief summary of ek phool ki chaah(class 9 NCERT ) both in english and hindi.
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सियारामशरण गुप्त का जन्म 4 सितम्बर 1895 को सेठ रामचरण कनकने के परिवार में चिरगांव, झाँसी में हुआ था। राष्ट्र-कवि मैथिलीशरण गुप्त इनके बड़े भाई थे। इनके पिता भी कविताएं लिखा करते थे। इसी कारणवश इन्हें घर में ही कविता पाठ की शिक्षा मिली। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने घर में ही गुजराती, अंग्रेजी और उर्दू भाषा सीखी। इनकी पत्नी तथा पुत्रों का निधन असमय ही हो गया और इसी कारणवश ये दु:ख, वेदना और करुणा के कवि बन गये।जनता की दरिद्रता, कुरीतियों के विरुद्ध आक्रोश, विश्व शांति जैसे विषयों पर उनकी रचनाएँ बहुत ही प्रभावशाली साबित हुईं। जीवन के प्रति करुणा का भाव जिस सहज और प्रत्यक्ष रूप से गुप्त जी ने अपने काव्यों में दिखाया है, वह बड़ा ही मार्मिक है।
उन्हें दीर्घकालीन साहित्य सेवाओं के लिए सन् 1962 में ‘सरस्वती हीरक जयन्ती’ के अवसर पर सम्मानित किया गया। 1941 में उन्हें नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी द्वारा “सुधाकर पदक’ प्रदान किया गया। उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ मौर्य विजय, आद्रा, पाथेय, मृण्मय, उन्मुक्त, आत्मोसर्ग, दूर्वादल और नकुल है।