३. (अ) चादर देखकर पैर फैलाना बुद्धिमानी कहलाती हैं, इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(आ) ज्ञान की पूँजी बढ़ानी चाहिए', इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
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- चादर देखकर पैर फैलाना मतलब आपके पास जितना साधन उपलब्ध है उतना ही प्रयोग करना या आपकी जितनी आमदनी है उतना ही खर्च करना अक्सर लोग ज्यादा खर्च कर देते हैं जितने उनकी आमदनी नहीं होती उतना खर्च मना कर देते हैं फिर वह बाद में पछताते हैं
- ज्ञान की पूंजी बंद होनी चाहिए क्योंकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती अब कोई भी चीज हर उम्र में सीख सकते हैं आदमी बूढ़ा हो जाता है पर वह नई चीजों को सीखने की आदत नहीं छोड़ता इसलिए जहां से भी कुछ भी सीखने का मौका मिले वहां से सीख लो
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चादर देखकर पैर फैलाने का अर्थ है, जितनी अपनी क्षमता हो उतने में ही काम चलाना। यह अर्थशास्त्र का साधारण नियम है। सामान्य व्यक्तियों से लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी इस नियम का पालन करती हैं। जो लोग इस नियम के आधार पर अपना कार्य करते हैं, उनके काम सुचारु रूप से चलते हैं। जो लोग बिना सोचे-विचारे किसी काम की शुरुआत कर देते हैं और अपनी क्षमता का ध्यान नहीं रखते, उनके सामने आगे चलकर आर्थिक संकट उपस्थित हो जाता है। इसके कारण काम ठप हो जाता है। इसलिए समझदारी इसी में है कि अपनी क्षमता का अंदाज लगाकर ही कोई कार्य शुरू किया जाए। इससे कार्य आसानी से पूरा हो जाता है। चादर देखकर पैर फैलाने में ही बुद्धिमानी होती है।
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