a cows autobiography in ndi
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“Autobiography of a Cow” in Hindi Language!
संसार के समस्त पशुधनों में पालतू पशुधन के रूप में मेरी अलग पहचान है । मैं एक बहुमूल्य पशुधन हूं । चौपायों में मैं बहु उपयोगी पशु के रूप में जानी जाती हूं । मेरी बड़ी-बड़ी सुन्दर आखें लहराती झबरीली पूंछ, मेरी सुन्दर देहदृष्टि ही मेरी विशिष्ट पहचान है । मैं विभिन्न रंगों में पहचानी जाती हूं ।
दुध की तरह मेरा गौरवर्णीय रूप है, जिसके कारण मैं गौरी कहलाती हूं । मेरा श्यामल चमकता-दमकता शरीर भी है, जिसके कारण मैं श्यामा कहलाती हूं । ललछहे पत्तों के रूप में लालिमा भरी आभा से युक्त मेरी देह मुझे लक्ष्मी का रूप देती है ।
भारत जैसे देश में तो मैं ‘गौमाता’ के रूप में पूजी जाती हूं । बहुत-से धार्मिक आयोजनों में मुझे नेवैद्य के रूप में सर्वप्रथम भोजन अर्पित किया जाता है । मुझ पर ऐसी धार्मिक आस्था पौराणिक आख्यानों से जुड़ी हुई है ।
hope this answer may helps you.
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संसार के समस्त पशुधनों में पालतू पशुधन के रूप में मेरी अलग पहचान है । मैं एक बहुमूल्य पशुधन हूं । चौपायों में मैं बहु उपयोगी पशु के रूप में जानी जाती हूं । मेरी बड़ी-बड़ी सुन्दर आखें लहराती झबरीली पूंछ, मेरी सुन्दर देहदृष्टि ही मेरी विशिष्ट पहचान है । मैं विभिन्न रंगों में पहचानी जाती हूं ।
दुध की तरह मेरा गौरवर्णीय रूप है, जिसके कारण मैं गौरी कहलाती हूं । मेरा श्यामल चमकता-दमकता शरीर भी है, जिसके कारण मैं श्यामा कहलाती हूं । ललछहे पत्तों के रूप में लालिमा भरी आभा से युक्त मेरी देह मुझे लक्ष्मी का रूप देती है ।
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