अंडजनक तथा जरायुज द्वारा उत्त्पन्न अंडे या बच्चे संख्या में बराबर होते है? यदि हाँ तो क्यों? यदि नहीं तो क्यों?
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अण्डजरायुजता, जीवों के प्रजनन की एक विधा है जिसमें भ्रूण का विकास अंडे के भीतर होता है और यह अंडा परिपक्व होकर फूटने तक माता के शरीर के अंदर ही रहता है। अण्डजरायुज जीवों में जरायुज जीवों की भांति आंतरिक निषेचन होता है और जीवित शिशुओं का जन्म होता है, अंतर सिर्फ इस बात का होता है कि इनमें जरायुज प्राणिओं की तरह भ्रूण, माता से अपरा के माध्यम से जुड़ा नहीं होता और भ्रूण का पोषण, पीतक कोष द्वारा होता है हालांकि, माँ के शरीर के द्वारा गैस विनिमय (श्वसन) होता है। जैसा की समुद्री घोड़ा में युग्मनज का परिवर्धन मादा के देह में ही सम्पन होता है जिस भ्रूण को प्राकृतिक सुरक्षा तो मिल जाती है लेकिन पोषण नहीं मिल पाता है।
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