a discussion essay on capital punishment in hindi
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मृत्युदण्ड (अंग्रेज़ी:कैपिटल पनिश्मैन्ट), किसी व्यक्ति को कानूनी तौर पर न्यायिक प्रक्रिया के फलस्वरूप किसी अपराध के परिणाम में प्राणांत का दण्ड देने को कहते हैं। अंग्रेज़ी में इसके लिये प्रयुक्त कैपिटल शब्द लैटिन के कैपिटलिस शब्द से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "सिर के संबंध में या से संबंधित" (लैटिन कैपुट)। इसके मूल में आरंभिक रूप में दिये जाने वाले मृत्युदण्ड का स्वरूप सिर को धड़ से अलग कर देने की प्रक्रिया में है। वर्तमान समय में एमनेस्टी इंटरनेशनल के आंकड़ों के अनुसार विश्व के 58 देशों में अभी मृत्युदंड दिया जाता है[1], जबकि अन्य देशों में या तो इस पर रोक लगा दी गई है, या गत दस वर्षो से किसी को फांसी नहीं दी गई है। यूरोपियाई संघ के सदस्य देशों में,चार्टर ऑफ फ़्ण्डामेण्टल राइट्स ऑफ द यूरोपियन यूनियन की धारा-2 मृत्युदण्ड को निषेध करती है।
ayushdiss253oxvjq1:
thanks a lot
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गलती करना, और हो जाना, दो बिषय को दर्शाता है ।
1-समझते हूवे गलती करने पर सजा मिले ।
2- अन्जाने मे हूई गलती को मांफी मिले ।
आज हमारे देश मे अधिकतर गलती जान बूझ कर किया जाता है ।वो ईसलिऐ की, ऊसने कीया तो क्या हूवा, मेरा भी कूछ नहीं होगा ।
ऐक न्यू सोच के मुताबिक सजा का प्रावधान सख्त होना चाहिए ।जिससे गलती करने बाले को भय हो और गलती न करे।
1-समझते हूवे गलती करने पर सजा मिले ।
2- अन्जाने मे हूई गलती को मांफी मिले ।
आज हमारे देश मे अधिकतर गलती जान बूझ कर किया जाता है ।वो ईसलिऐ की, ऊसने कीया तो क्या हूवा, मेरा भी कूछ नहीं होगा ।
ऐक न्यू सोच के मुताबिक सजा का प्रावधान सख्त होना चाहिए ।जिससे गलती करने बाले को भय हो और गलती न करे।
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