A easy wording short poem on parvat in hindi?
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विटामिन ज़िन्दगी : मनविटामिनों से भरपूर ललित कुमार की प्रेरणादायी कहानी
मैं पर्वत हूँ / श्रीप्रसाद
श्रीप्रसाद » मेरी प्रिय बाल कविताएँ »
मैं पर्वत हूँ
मैं ऊपर बढ़ता जाता हूँ
मैं पर्वत हूँ
कल-कल झरनों में गाता हूँ
मैं पर्वत हूँ
नदियों को देता हूँ जीवन
मैं पर्वत हूँ
नदियाँ निकली धाराएँ बन
मैं पर्वत हूँ
नदियों को देता हूँ जीवन
मैं पर्वत हूँ
नदियाँ निकली धाराएँ बन
मैं पर्वत हूँ
मैं खड़ा हुआ हूँ तन करके
मैं पर्वत हूँ
धरती से निकला बन करके
मैं पर्वत हूँ
ऊँची चोटी छूती अंबर
मैं पर्वत हूँ
है बरफ सजी मेरे सिर पर
मैं पर्वत हूँ
धरती की शान बढ़ाता हूँ
मैं पर्वत हूँ
बढ़ता-घटता रुक जाता हूँ
मैं पर्वत हूँ
मेरे सिर पर हैं देवदार
मैं पर्वत हूँ
खिल रहे फूल मुझ पर अपार
मैं पर्वत हूँ
मैं भला सभी का करता हूँ
मैं पर्वत हूँ
यह धरती धन से भरता हूँ
मैं पर्वत हूँ
जो चोटी छूती है अंबर
मैं पर्वत हूँ
मानव पहुँचा उस चोटी पर
मैं पर्वत हूँ
अचरज-सा है मेरा जीवन
मैं पर्वत हूँ
तन का कठोर, कोमल है मन।