Hindi, asked by adityaguptaa54, 10 months ago

A essay on
*अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम से लोकतंत्र भावना आहत होती हैं ।*​

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Answered by Yashika3103
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Answer:

अभिव्यक्ति की आज़ादी ही लोकतंत्र की खूबसूरती है। परन्तु संविधान निर्माताओं ने प्रचलित मान्यताओं तथा मर्यादाओं को ध्यान में रखकर अभिव्यक्ति की सीमाएं निर्धारित की थी और कुछ सीमाओं को लोगों की बुद्धि तथा विवेक पर छोड़ दिया था। अगर कोई व्यक्ति देश की अखंडता या एकता पर प्रहार करता हैं तो जनता अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी द्वारा ही उसे सही राह दिखा देती है। यह बाते स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए डीपीएस भिलाई में आयोजित हुए वाद-विवाद प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि महाप्रबंधक (गुणवत्ता) बीएसपी वीरेंद्र धवन ने कही। वाद-विवाद का विषय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की लगाम से लोकतंत्र की भावना आहत होती है था। डीपीएस भिलाई के प्राचार्य प्रशांत वशिष्ठ ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया।

कार्यक्रम में पहुंचे अतिथियों और बच्चों को किया गया सम्मानित।

डीपीएस भिलाई की अनुभा ने जीता खिताब

विषय के पक्ष में अपनी बात रखकर डीपीएस भिलाई की अनुभा परेश ने पहला स्थान हासिल किया। द्वितीय स्थान निधि डड़सेना, मैत्री विद्या निकेतन रिसाली और तृतीय स्थान आदित्य सिंह, मां शारदा पब्लिक स्कूल सेक्टर-9 ने प्राप्त किया। विपक्ष में प्रथम स्थान रोहित नाग, मां शारदा स्कूल से.-9 रही।

विपक्ष में बोलकर दूसरे स्थान पर रही हर्शिता

विपक्ष में ही बोलकर द्वितीय स्थान हर्षिता सिंह, मैत्री विद्या निकेतन रिसाली तथा तृतीय स्थान श्रेया तिवारी, डीपीएस भिलाई ने प्राप्त किया। पक्ष एवं विपक्ष के कुल प्राप्तांकों के आधार पर प्रथम स्थान पर डीपीएस, भिलाई तथा द्वितीय स्थान पर मैत्री विद्या निकेतन तथा मां शारदा स्कूल सेक्टर-9 रहे।

इस स्पर्धा में इन स्कूलों ने लिया हिस्सा

प्रतियोगिता में डीएवी पब्लिक स्कूल हुड़को, श्री शंकराचार्य विद्यालय हुड़को, इंदु आईटी स्कूल कोहका, मैत्री विद्या निकेतन रिसाली, जवाहर नवोदय विद्यालय बोरई, मां शारदा पब्लिक स्कूल सेक्टर-9, एमजीएम सीनियर सेकंडरी स्कूल सेक्टर-6, भिलाई एवं दिल्ली पब्लिक स्कूल, रिसाली भिलाई के छात्रों ने हिस्सा लिया।

इस स्पर्धा में ये निर्णायक के रुप में हुए शामिल

निर्णायक के रूप में डाॅ. रीता गुप्ता, सहायक प्राध्यापक उतई काॅलेज, परमेश्वर वैश्णव, वरिष्ठ साहित्यकार, सचिव, छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ, डाॅ. अंजन कुमार कल्याण कॅालेज सहायक प्राध्यापक शामिल रहे। मौके पर नंदिनी भट्टाचार्य, हिन्दी विभाग की अध्यक्षा नीलम पांडेय मौजूद रहे।

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