Hindi, asked by taadhya8, 11 months ago

A essay on Chandrayaan 2 in Hindi giving your opinion on it
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Answered by saaho33
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चंद्रयान-२ या द्वितीय चन्द्रयान, चंद्रयान-1 के बाद भारत का दूसरा चन्द्र अन्वेषण अभियान है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने विकसित किया है। अभियान को जीएसएलवी संस्करण 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपित किया गया।इस अभियान में भारत में निर्मित एक चंद्र कक्षयान, एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल हैं। इन सब का विकास इसरो द्वारा किया गया है।भारत ने चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से भारतीय समयानुसार 02:43 अपराह्न को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया।

चंद्रयान-2

चन्द्रयान-द्वितीय (लैण्डर एवं ऑर्बिटर का सम्मिलित रूप)

चन्द्रयान-द्वितीय (लैण्डर एवं ऑर्बिटर का सम्मिलित रूप)

मिशन प्रकार

चन्द्र कक्षयान , लैंडर तथा रोवर

संचालक (ऑपरेटर)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो)

वेबसाइट

www.isro.gov.in/chandrayaan2-home

मिशन अवधि

कक्षयान: 1 वर्ष

विक्रम लैंडर: <15 दिन[1]

प्रज्ञान रोवर: <15 दिन[1]

अंतरिक्ष यान के गुण

निर्माता

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो)

लॉन्च वजन

कुल योग: 3,877 कि॰ग्राम (8,547 पौंड)[2][3]

पेलोड वजन

कक्षयान: 2,379 कि॰ग्राम (5,245 पौंड)[2][3]

विक्रम लैंडर:1,471 कि॰ग्राम (3,243 पौंड)[2][3]

प्रज्ञान रोवर : 27 कि॰ग्राम (60 पौंड)[2][3]

ऊर्जा

कक्षयान: 1 किलोवाट[4]विक्रम लैंडर: 650 वाट

प्रज्ञान रोवर: 50 वाट

मिशन का आरंभ

प्रक्षेपण तिथि

15 जुलाई 2019, 21:21 यु.टी.सी (योजना) थी, जो तकनीकी गड़बड़ी के चलते 22 जुलाई 2019 को 02:41 अपराह्न की गई थी।

रॉकेट

भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण

प्रक्षेपण स्थल

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र

ठेकेदार

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

चन्द्रमा कक्षीयान

कक्षीय निवेशन

सितंबर 6, 2019 (योजना)

कक्षा मापदंड

निकट दूरी बिंदु

100 कि॰मी॰ (62 मील)[6]

दूर दूरी बिंदु

100 कि॰मी॰ (62 मील)[6]

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भारतीय चन्द्रयान अभियान(इसरो)

← चंद्रयान-1 चंद्रयान-3 →

चित्र:ISRO Chandrayaan 2 Working.ogg.480p.vp9.webmPlay media

चन्द्रयान-२ अभियान की चलचित्रीय व्याख्या

चंद्रयान-2 लैंडर और रोवर चंद्रमा पर लगभग 70° दक्षिण के अक्षांश पर स्थित दो क्रेटरों मज़िनस सी और सिमपेलियस एन के बीच एक उच्च मैदान पर उतरने का प्रयास करेगा। पहिएदार रोवर चंद्र सतह पर चलेगा और जगह का रासायनिक विश्लेषण करेगा। पहिएदार रोवर चन्द्रमा की सतह पर चलेगा तथा वहीं पर विश्लेषण के लिए मिट्टी या चट्टान के नमूनों को एकत्र करेगा। आंकड़ों को चंद्रयान-2 कक्षयान के माध्यम से पृथ्वी पर भेजा जायेगा।[15][16]

चंद्रयान -1 ऑर्बिटर का मून इम्पैक्ट प्रोब (MIP) 14 नवंबर 2008 को चंद्र सतह पर उतरा, जिससे भारत चंद्रमा पर अपना झंडा लगाने वाला चौथा देश बन गया।[17] यूएसएसआर, यूएसए और चीन की अंतरिक्ष एजेंसियों के बाद, चंद्रयान -2 लैंडर की एक सफल लैंडिंग चंद्रमा पर नरम लैंडिंग हासिल करने वाला भारत चौथा देश होगा। सफल होने पर, चंद्रयान -2 सबसे दक्षिणी चंद्र लैंडिंग होगा, जिसका लक्ष्य 67 ° S या 70 ° अक्षांश पर उतरना होगा।[18]

हालाँकि, लगभग 1:52 बजे IST, लैंडर लैंडिंग से लगभग 2.1 किमी की दूरी पर अपने इच्छित पथ से भटक गया[19] और अंतरिक्ष यान के साथ जमीनी नियंत्रण ने संचार खो दिया।[20]

8 सितंबर 2019 को इसरो द्वारा सूचना दी गई कि ओरबिटर द्‍वारा लिए गए ऊष्माचित्र से विक्रम लैंडर का पता चल गया है। परंतु अभी चंद्रयान-2 से संपर्क नहीं हो पाया हैl

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Answered by itzXtylishAbhi
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Explanation:

What type of gemetes are formed from a plant of genotype Tt Rr

(a) Tt and Rr

(b) TR and tr

(c) TR, Tr, tR, tr

(d) Tr, tr only

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