Hindi, asked by bantivalavala8213, 1 year ago

a funny poem upto forty lines

Answers

Answered by Yashthakur4903
1
इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं

इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं
जिधर देखता हूं, गधे ही गधे हैं

गधे हँस रहे, आदमी रो रहा है
हिन्दोस्तां में ये क्या हो रहा है

जवानी का आलम गधों के लिये है
ये रसिया, ये बालम गधों के लिये है

ये दिल्ली, ये पालम गधों के लिये है
ये संसार सालम गधों के लिये है

पिलाए जा साकी, पिलाए जा डट के
तू विहस्की के मटके पै मटके पै मटके

मैं दुनियां को अब भूलना चाहता हूं
गधों की तरह झूमना चाहता हूं

घोडों को मिलती नहीं घास देखो
गधे खा रहे हैं च्यवनप्राश देखो

यहाँ आदमी की कहाँ कब बनी है
ये दुनियां गधों के लिये ही बनी है

जो गलियों में डोले वो कच्चा गधा है
जो कोठे पे बोले वो सच्चा गधा है

जो खेतों में दीखे वो फसली गधा है
जो माइक पे चीखे वो असली गधा है

मैं क्या बक गया हूं, ये क्या कह गया हूं
नशे की पिनक में कहां बह गया हूं

मुझे माफ करना मैं भटका हुआ था
वो ठर्रा था, भीतर जो अटका हुआ था
_______________________________

मैं छात पे खड़ा था
वा भी छात पे खड़ी थी
बस नुहे मेरी उसपे नजर पड़ी थी
मैं उस ओड़ मुह करके खड़ा था
वा इस ओड़ मुह करके खड़ी थी
पर दोनुआ के बीच में एक गड़बड़ी थी
मैं अपनी छात पे खड़ा था
वा अपनी छात पे खड़ी थी
ना उसने मैं दिखा,
ना मन्ने उसका मुह दिखा
क्युकी मैं भी रात ने खड़ा था
और वा भी रात ने खड़ी थी
मैं खड़ा खड़ा नु सोचु था
वा छात पे क्यूँ खड़ी थी
छात पे खड़ी थी तो खड़ी थी
पर छात पे रात ने क्यूँ खड़ी थी
मन्ने एक काकर उठाई,
उस की ओड़ बगाई
वा काकर भी जाके उसके धोरे पड़ी थी
वा चांदणे में आई तो
उसके मुह पे नजर पड़ी थी
ओह तेरी के होगी बड़ी गड़बड़ी थी
जिसने मैं नू सोचु था के वा खड़ी थी
वा तो उसकी माँ खड़ी थी
मैं छात पे ते भाग के निचे आया
गली में देखा तो ताऊ भरतु हांडता पाया
जब मेरी नजर ताऊ भरतु पे पड़ी थी
तो मेरे समझ में आया के गड़बड़ी थी
वा इतनी रात ने छात पे क्यूँ खड़ी थी
वा इतनी रात ने छात पे न्यू खड़ी थ


MARK AS BRAINLIEST

PLZZZZZZ
Similar questions