अंगुली ढकी है पर पंजा नीचे से घिस रहा है पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए
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अँगुली ढकी है, पर पंजा नीचे घिस रहा है। इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक अपने मन की मनोस्थिति को व्यक्त कर रहा है। ... लेखक के जूते की उंगली प्रेमचंद के फटे जूते की भांति बाहर नहीं आ रही है। बाहर से भले ही देखने में उसकी दशा और आर्थिक देखने में अच्छी प्रतीत हो रही हो, लेकिन अंदर से उसकी हालत खराब है।
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