Hindi, asked by yadavkacu, 4 months ago

अंग्रेजों की सैनिक टुकड़ी बिठूर क्यों गई थी​

Answers

Answered by kaushalkaumar589
1

Answer:

तात्या को जागते हुए कभी अंग्रेजों की शक्तिशाली फौज पकड़ नहीं पाई। क्योंकि तात्या सिर्फ पांच घंटे ही सोते थे, बचे समय वह अंग्रेजी सेना से लड़ते रहते थे। तात्या टोपे भारत की आजादी की पहली संघर्ष '1857 विद्रोह' के सेनानायक थे। इनका जन्म महाराष्ट्र में नासिक के पास एक गांव के ब्राह्मण परिवार में 1814 में हुआ था। उनके पिता पेशवा बाजीराव द्वितीय बिठूर (कानपुर) के कर्मचारी थे। बाजीराव के प्रति लगाव के कारण वे बाद में बिठूर चले आए थे। तात्या का वास्तविक नाम रामचंद्र पाण्डुरंग राव था। तात्या ने ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल आर्मी के तोपखाना रेजीमेंट में भी काम किया था। लेकिन कुछ समय के बाद ही देशप्रेम के कारण तात्या ने अंग्रेजों की नौकरी छोड़ दी और बाजीराव की नौकरी में वापस आ गए। पेशवा ने तात्या को एक बेशकीमती टोपी दी थी। वे बड़े ठाट इसे पहनते थे। इसी वजह से बाद में लोग उन्हें तात्या टोपे के नाम से पुकारने लगे।

नाना साहब पेशवा ने बनाया सलाहकार

1857 में जब विद्रोह की लपटें कानपुर में भी पहुंची चुकी थीं। पेशवा के नेतृत्व में तात्या ने कानपुर में स्वाधीनता स्थापित करने वालों की अगुवाई की। तात्या को नाना साहब ने अपना सैनिक सलाहकार नियुक्त किया था। तात्या के नेतृत्व में विद्रोही सेना ने अंग्रेज ब्रिगेडियर जनरल हैवलॉक की कमान का शहर के बिठूर में बहादुरी से मुकाबला किया। संघर्षपूर्ण मुकाबले के बावजूद विद्रोही सेना को जुलाई 1857 में पीछे हटना पड़ा। इस संघर्ष में विद्रोही सेना बिखर गई। तात्या ने बिठूर में अपनी सेनाओं का पुनर्गठन किया और कानपुर में अंग्रेजों पर हमले का मौका खोजने लगे। इस बीच हैवलॉक ने अचानक बिठूर पर हमला कर दिया। तात्या बिठूर की लड़ाई में हार गए। वे बहुत बहादुरी से लड़े। इस बात के लिए अंग्रेज सेनापति ने उनकी तारीफ़ भी की थी।

Answered by sonirimjhim54
2

To stop the revolution srarted by Tatya tope!

Similar questions