अंग्रेज तो चले गए मगर जाते-जाते शरारत के बीज बो गए या कथन किसका है
Answers
अंग्रेज तो चले गए मगर जाते-जाते शरारत के बीज बो गए या कथन किसका है :
अंग्रेज तो चले गए मगर जाते-जाते शरारत के बीज हो गए।'
यह कथन भारत के पहले गृहमंत्री और लौह पुरुष के नाम से जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल का है।
व्याख्या :
संविधान सभा की बैठक में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने यह कथन कहा था कि अंग्रेज जाते-जाते अपनी शरारत कर गए थे और देश को विभाजन का दुख देकर अनेक समस्याएं पैदा कर गए थे।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा बहस के दौरान कहा कि अंग्रेज तो चले गए मगर जाते-जाते शरारत का बीज हो गए हैं। हम इस शरारत को और आगे नहीं बढ़ाना चाहते। अंग्रेजों ने जब भारत के विभाजन का विचार प्रस्तुत किया था तो उन्होंने यह नहीं सोचा था कि उन्हें जल्दी जाना पड़ जाएगा। उन्होंने अपनी शासन की सुविधा के लिए विचार पेश किया था। लेकिन उन्हें यहां से जल्दी जाना पड़ गया और हमारे लिए विभाजन का दर्द दे गए।
Answer:
अंग्रेज तो चले गए मगर जाते-जाते शरारत के बीज बो गए या कथन सरदार वल्लभभाई पटेल का है।
Explanation:
अंग्रेज तो चले गए मगर जाते-जाते शरारत के बीज हो गए। ' यह कथन भारत के पहले गृहमंत्री और लौह पुरुष के नाम से जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल का है। संविधान सभा की बैठक में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने यह कथन कहा था कि अंग्रेज जाते-जाते अपनी शरारत कर गए थे और देश को विभाजन का दुख देकर अनेक समस्याएं पैदा कर गए थे।
हदी भाषा के संरक्षण के लिए भले ही सरकार द्वारा राजभाषा विभाग की स्थापना की गई है। लेकिन सरकारी दफ्तरों में अंग्रेजी में ही काम चल रहा है।