Hindi, asked by priyanka98222, 8 hours ago

अंगदान महादान इस पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए​

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Answered by shubhi10079
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दान शब्द का शाब्दिक अर्थ है - देने की क्रिया. दान शब्द अति महनीय शब्द है. 'देना' शब्द परम संतुष्टि प्रदान करता है. दान के बदले किसी प्रकार का विनिमय नहीं हो सकता.किसीको अगर हम कुछ देतें हैं जिसे उसकी अत्यन्त आवश्यकता थी तो उसे परम संतोष होता है और उससे दाता को परमानन्द .

दान के विविध रूप हैं . धन दान , धर्म दान ,क्षमा दान, अभय दान ,विद्या दान, अंगदान एवं देह दान. विद्या दान सबसे सुखकर दान है. क्षमा दान तो आत्म दान ही है. किसी भी जरूरतमंद को सहायता देना , उसको उसके कष्ट से निकलने हेतु कुछ भी देना दान है. सभी दान की अपनी अपनी विशेषताएं हैं लेकिन अपना अंग दान देना किसी मानव के प्रति बहुत बड़ा उपकार है, अंग दान से जीवन दान मिलता है. अतः यह सभी दानों में सर्वोपरि है.

यदि हम आँख दान करते हैं तो अंधे को दृष्टि मिलती है और वह दाता के दान से संसार को देख पाता है. वास्तव में अंग दान महादान है. अंगदान देना बहुत बड़ा पुण्य का काम है. परापूर्व काल से अंगदान देने की परंपरा रही है. यह परंपरा सतयुग से चला आ रहा है. अंगदान जैसा महादान मुक्ति में बाधक नहीं अपितु सहायक है. मृत्युपरांत अपने अंग का दूसरों द्वारा प्रयोग होने के कारण आप किसी न किसी रूप में जीवित ही रहते हैं. और धार्मिक लोग यह कहते हैं की आत्मा अमर होता है, यह नश्वर शारीर तो आत्मा का चोला मात्र है, मृत्यु और जन्म वैसे ही है जैसे हम कपडे बदल लेते हैं. आत्मा एक पुराना शारीर छोड़ कर नए शारीर को अंगीकार कर लेता है. अब अगर यह सच है तो फिर अंग तो आत्मा के चोला का एक इकाई मात्र है , जैसे कपडे का बटन,या नाड़ा, या कॉलर या कफ इत्यादि. अब अगर आपका कोई कपड़ा पुराना हो जाता है और आप उस कपडे को किसी जरूरतमंद को दान कर देते हैं तो आपका क्या बिगड़ेगा, या आपका क्या हानि होगा. इतना ही नहीं मान लीजिए उस कपडे का जो आपकेलिए पुराना हो चूका है और उसका आपके लिए कोई प्रयोग नहीं रह गया है तब यदि कोई उसका बटन काटकर अपने कपडे में लगाकर अपने कपडे को पहनने योग्य बना लेता है तो आपका तो कुछ नहीं बिगाड़ा पर उस व्यक्ति का कपड़ा पहनने लायक हो गया. इसी तरह अंग दान देने से आपके आत्मा का पुराना चोला का कुछ भाग दूसरों द्वारा प्रयोग में लाने से आपको तो ख़ुशी ही मिलनी चाहिए और यही ख़ुशी तो परमात्मा को प्राप्त करना है.

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