अुंगद उसका नाम था यथा नाम तथा ग
ु
ण वाली
कहावत उस पर प
ूरे सौ पैसे ठीक उतरती थी। जहाुं बैठ जाता फिर उठने का नाम ना लेता , ना घर की चचुंता,
ना खाने पीने की,।
iska sapra sang विख्याय kijiye
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pure paise dhik utarti thi
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