Hindi, asked by choubeynidhi321, 3 months ago

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Answered by angeljayasing200840
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Answer:

मानव संभवत : महत्वकांक्षी प्राणी है। अपने भविष्य के बारे में वह अनेक प्रकार के सपने देखा करता है तथा कल्पना की उड़ान में खोया रहता है। कभी-कभी मेरे मस्तिष्क में भी एक अभिलाषा होती है -यदि में देश का प्रधानमंत्री होता।

पर यह अकांक्षा आकाश के तारे तोडऩे के समान है, तथापि फिर भी मन के किसी कोने से एक आवाज आती है। यह असंभव तो नहीं है। भारत का ही कोई व्यक्ति जब देश का प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करेगा तो तुम क्यों नहीं।

यदि मेरी कल्पना साकार हो जाए, तो मैं अपने देश की विश्व के उन्नत, समृद्ध तथा शक्तिशाली राष्ट्रों के समकक्ष खड़ा करने में कोई कसर न छोड़ूंगा। मेरी दृष्टि में प्रधानमंत्री का सर्वप्रथम दायित्व है अपने देश को हर प्रकार से सबल और समृद्ध बनाना।

प्रधानमंत्री का दायित्व संभालते ही मेरे लिए राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि हो जाएगी। यद्यपि अपने पड़ोसी देशों से मित्रता का हाथ बढ़ाने में भी मैं पीछे नहीं हटूंगा पर सीमा पर हो रहे आतंकवाद तथा घुसपैठ को कतई सहन नहीं कर पाऊंगा। इसके लिए मुझे भारत की सैन्य शक्ति में वृद्धि करनी होगी जिससे शत्रु राष्ट्र हम पर आँख उठाने की भी हिम्मत न कर सकें। मैं घुसपैठियों के सारे रास्तों को बंद करवाकर शत्रु को ऐसा पाठ पढ़ाऊंगा कि वहां कभी हमला करने का दुस्साहस न कर सकें और यदि आवश्यक हुआ तो युद्ध से भी पीछे नहीं हटूंगा। उस संदर्भ में मैं अंतर्राष्ट्रीय दबाव में नहीं आऊंगा। मेरा आदर्श तो कवि दिनकर की ये पंक्तियां होंगी-

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