A hindi essay on students and discipline
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विद्यार्थी जीवन मानव जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण समय होता है । इस काल में विद्यार्थी जिन विषयों का अध्ययन करता है अथवा जिन नैतिक मूल्यों को वह आत्मसात् करता है वही जीवन मूल्य उसके भविष्य निर्माण का आधार बनते हैं ।
पुस्तकों के अध्ययन से उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है परंतु इसके अतिरिक्त अनेक बाह्य कारक भी उसकी जीवन-प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं । विभिन्न प्रकार के आर्थिक, राजनैतिक व धार्मिक परिवेश उसके जीवन पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभाव डालते हैं । विद्यार्थी जीवन में प्राप्त अनुभव व ज्ञान ही आगे चलकर उसके व्यक्तित्व के निर्माण हेतु प्रमुख कारक का रूप लेते हैं ।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । अत: जहाँ वह निवास करता है उसके अस-पास होने वाली घटनाओं के प्रभाव से वह स्वयं को अलग नहीं रख सकता है । उस राष्ट्र की राजनीतिक, धार्मिक व आर्थिक परिस्थितियाँ उसके जीवन पर प्रभाव डालती हैं । सामान्य तौर पर लोगों की यह धारणा है कि विद्यार्थी जीवन में राजनीति का समावेश नहीं होना चाहिए ।
प्राचीन काल में यह विषय केवल राज परिवारों तक ही सीमित हुआ करता था । राजनीति विषय की शिक्षा केवल राज दरवार के सदस्यों तक ही सीमित थी परंतु समय के साथ इसके स्वरूप में परिवर्तन अया है । अब यह किसी वर्ग विशेष तक सीमित नहीं रह गया है । अब कोई भी विद्यार्थी चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय का हो इस विषय को प्रमुख विषय के रूप में ले सकता है ।
स्वतंत्रता के पश्चात् विगत पाँच दशकों में देश की राजनीति के स्वरूप में अत्यधिक परिवर्तन देखने को मिला है । आज राजनीति स्वार्थी लोगों से भरी पड़ी है । ऐसे लोग अपने स्वार्थ को ही सर्वोपरि मानते हैं, देश की सुरक्षा व सम्मान उनकी प्राथमिकता नहीं होती है । विभिन्न अपराधों में लिप्त लोग भी आज देश के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं ।
भारतीय नागरिक होने के कारण हमारा यह दायित्व बनता है कि हम देश की राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण को रोकें । विद्यार्थियों को यदि राजनीति के मूल सिद्धांतों की जानकारी होगी, तभी वे देश के नागरिक होने का कर्तव्य भली-भाँति निभा सकते हैं । गाँधी जी एक कुशल राजनीतिज्ञ थे, हालाँकि वे साथ-साथ एक संत और समाज-सुधारक भी थे । आज के विद्यार्थियों को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
पुस्तकों के अध्ययन से उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है परंतु इसके अतिरिक्त अनेक बाह्य कारक भी उसकी जीवन-प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं । विभिन्न प्रकार के आर्थिक, राजनैतिक व धार्मिक परिवेश उसके जीवन पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभाव डालते हैं । विद्यार्थी जीवन में प्राप्त अनुभव व ज्ञान ही आगे चलकर उसके व्यक्तित्व के निर्माण हेतु प्रमुख कारक का रूप लेते हैं ।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । अत: जहाँ वह निवास करता है उसके अस-पास होने वाली घटनाओं के प्रभाव से वह स्वयं को अलग नहीं रख सकता है । उस राष्ट्र की राजनीतिक, धार्मिक व आर्थिक परिस्थितियाँ उसके जीवन पर प्रभाव डालती हैं । सामान्य तौर पर लोगों की यह धारणा है कि विद्यार्थी जीवन में राजनीति का समावेश नहीं होना चाहिए ।
प्राचीन काल में यह विषय केवल राज परिवारों तक ही सीमित हुआ करता था । राजनीति विषय की शिक्षा केवल राज दरवार के सदस्यों तक ही सीमित थी परंतु समय के साथ इसके स्वरूप में परिवर्तन अया है । अब यह किसी वर्ग विशेष तक सीमित नहीं रह गया है । अब कोई भी विद्यार्थी चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय का हो इस विषय को प्रमुख विषय के रूप में ले सकता है ।
स्वतंत्रता के पश्चात् विगत पाँच दशकों में देश की राजनीति के स्वरूप में अत्यधिक परिवर्तन देखने को मिला है । आज राजनीति स्वार्थी लोगों से भरी पड़ी है । ऐसे लोग अपने स्वार्थ को ही सर्वोपरि मानते हैं, देश की सुरक्षा व सम्मान उनकी प्राथमिकता नहीं होती है । विभिन्न अपराधों में लिप्त लोग भी आज देश के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं ।
भारतीय नागरिक होने के कारण हमारा यह दायित्व बनता है कि हम देश की राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण को रोकें । विद्यार्थियों को यदि राजनीति के मूल सिद्धांतों की जानकारी होगी, तभी वे देश के नागरिक होने का कर्तव्य भली-भाँति निभा सकते हैं । गाँधी जी एक कुशल राजनीतिज्ञ थे, हालाँकि वे साथ-साथ एक संत और समाज-सुधारक भी थे । आज के विद्यार्थियों को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
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यह सभी के लिये आवश्यक है जो किसी भी प्रोजेक्ट पर गंभीरता से कार्य करने के लिये जरुरी है। अगर हम अपने वरिष्ठों की आज्ञा और नियमों को नहीं मानेंगे तो अवश्य हमें परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और असफल भी हो सकते हैं।
हमें हमेशा अनुशासन में होना चाहिये और अपने जीवन में सफल होने के लिये अपने शिक्षक और माता-पिता के आदेशों का पालन करना चाहिये। हमें सुबह जल्दी उठना चाहिये, निययमित दिनचर्या के तहत साफ पानी पीकर शौचालय जाना चाहिये, दाँतों को साफ करने के बाद नहाना चाहिये और इसके बाद नाश्ता करना चाहिये। बिना खाना लिये हमें स्कूल नहीं जाना चाहिये। हमें सही समय पर स्वच्छता और सफाई से अपना गृह-कार्य करना चाहिये।
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hope it helps
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